दोस्तो, मेरा नाम प्रीति दुबे है और मैं इस बिंदास ग्रुप की सदस्य हूँ। अन्तर्वासना की नियमित पाठक तो मैं कई सालों से हूँ मगर कभी अन्तर्वासना पर कहानी भेजने के बारे में नहीं सोचा था मैंने।
फिर जब मेरी मुलाकात मेरी पुरानी सहेलियों से हुई तो सब लोगों ने अन्तर्वासना में अपनी अपनी कहानियां भेजने का निर्णय लिया।
इससे हमारी जिंदगी में एक नया जोश भी आया और आप लोगों को भी कुछ नई कहानियां पढ़ने का मौका मिला।
आज मैं लड़की की पहली चुदाई की कहानी लिख रही हूं और आगे भी अपनी चुदाई की कहानियां आप लोगों तक पहुंचाती रहूंगी।
आज मैं अपनी पहली चुदाई की कहानी आप लोगों को बताऊंगी।
बिंदास ग्रुप की पिछली कहानी: मेरी पहली चुदाई खण्डहर में
दोस्तो, मेरी अभी की वर्तमान उम्र 31 साल है और मेरी शादी को 7 साल हो चुके हैं।
मेरा एक 5 वर्ष का बेटा है और घर में मेरे पति के साथ बस हम 3 लोग ही रहते हैं। अभी मेरा वर्तमान फिगर 34-30-36 का है।
शुरू से ही मैं अपने जिस्म का बहुत ख्याल रखती आई हूं और अपने फिगर पर काफी ध्यान देती हूं।
जब मैं कॉलेज में थी तभी से मैं चुदाई के खेल में निपुण हो गई थी। शादी से पहले ही मैंने 3 लोगों के साथ चुदाई का भरपूर आनंद लिया।
आज भी मेरे पति के अलावा कुछ ऐसे दोस्त हैं जो समय समय पर मेरी चुदाई करते रहते हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो चुदाई मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा है और चुदाई के लिए मैं कुछ भी करने के लिए तैयार रहती हूं।
तो दोस्तो, चलते हैं आज की कहानी की तरफ, जब मैं 19 साल की मदमस्त जवानी के दौर में थी।
उस वक्त मेरा फिगर था 28-26-32. मेरा रंग गोरा था और लड़कों के लौड़ों की धड़कन थी मैं!
इस कहानी को सुनकर मजा लीजिये.
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यह बात उस वक्त की है जब मैं कॉलेज के दूसरे साल में गई थी। हम लोग अपने ग्रुप में 5 लड़कियां थीं और हम सभी लडकियां अपने आप में ही मस्त रहती थी।
कॉलेज की बाकी लड़कियों या लड़कों से हमें कोई मतलब नहीं रहता था। बारी बारी से हम सभी लडकियां चुदाई का मजा ले चुकी थीं मगर कभी भी किसी को इस बात की भनक नहीं लगी।
तो जब मैं कॉलेज के दूसरे साल में गई तब तक मैं कुँवारी थी. मगर उम्र ऐसी थी कि बदन में गजब की गर्मी भरी हुई थी।
सहेलियों से चुदाई की बातें सुनकर चूत में हमेशा ही खुजली मची रहती थी।
उस समय मेरे जीवन में कोई भी लड़का नहीं आया था और न ही किसी लड़के से मेरी दोस्ती थी। रात में जब मैं बिस्तर पर जाती तो पता नहीं क्यों बस चुदाई की बात ही सोचती रहती।
फिर मेरा हाथ मेरी चड्डी के अंदर चला जाता मगर मैंने कभी भी चूत में उंगली नहीं की थी।
बस मैं किसी तरह से अपनी चूत की गर्मी को शांत करना चाहती थी; लेकिन वो काम तो एक लड़का ही कर सकता था।
अब बस मुझे एक ऐसे लड़के की तलाश थी जो मेरी प्यास भी बुझाए और ये सब बात बहुत गुप्त भी रखे।
वैसे तो मुझे कई लड़के लाइन मारते थे मगर उनमें से कोई भी मुझे पसंद नहीं था।
फिर दोस्तो, आखिरकार मेरी जिंदगी में भी वो पल आया कि मेरी सारी उम्मीदें पूरी हुईं।
मैं रोज ही जिस बस स्टॉप से कॉलेज जाने के लिए बस लेती थी ठीक वहीं पर एक किराने की दुकान थी।
उस दुकान में एक लड़का बैठा करता था जिसका नाम आकाश था।
आकाश को मैं बस चेहरे से ही जानती थी और कभी कभार ही उसकी दुकान पर जाती थी।
मगर मैं इतना जानती थी कि वो शादीशुदा था।
मैं रोज़ बस स्टॉप पर जाकर खड़ी होती और रोज ही आकाश की नज़र मेरे ऊपर आ जाती।
वो बहुत ही गौर से मुझे देखा करता था।
मैं भी समझ चुकी थी कि वो मुझे देखता है और मेरी नज़र भी उस पर जाती थी।
कभी कभी आकाश के पिता दुकान पर होते मगर तब भी आकाश दुकान के बाहर रहता था.
कई बार तो आकाश को मैंने अपने घर के पास टहलते हुए भी देखा था।
मैं समझ चुकी थी कि वो मुझे पसंद करता है इसलिए वो मुझे देखता रहता है।
वो मुझे कुछ बोलता नहीं था या कुछ इशारा भी नहीं करता था।
धीरे धीरे मेरा आकर्षण उसके लिए बढ़ने लगा. रात में सोते समय भी आकाश की घूरती नजरें याद आने लगी थीं।
उसके साथ मजे लेने का मन तो मेरा भी करने लगा था मगर मेरे मन में एक बात ही खटक रही थी कि वो शादीशुदा था।
उसकी उम्र उतनी ज्यादा नहीं थी. वो उस वक्त 26 साल का था और दिखने में भी काफी हैंडसम था।
मेरी और उसकी उम्र में बस 7 साल का फर्क था।
समय यूं ही बीतता गया और हम दोनों की नजरें एक दूसरे को निहारती रहीं। अब वो मुझे देखकर मुस्कराता भी था और मैं भी उसे देख कर मुस्करा देती थी।
मतलब ये कि अब आग जोर पकड़ चुकी थी. मगर कोई आगे आकर बोल नहीं रहा था।
बस ऐसे ही चल रहा था।
फिर एक दिन मैं कॉलेज से वापस लौट रही थी और उसी बस स्टॉप पर उतरी।
मेरी नजर आकाश की दुकान की तरफ गई.
दुकान पर उसके पिता बैठे हुए थे और आकाश का कोई पता नहीं था।
मैं अपने घर की तरफ चल दी.
शाम हो गई थी और हल्का अंधेरा होने लगा था।
मैं जल्दी जल्दी कदम बढ़ाते हुए घर की ओर बढ़ रही थी।
रास्ते में आगे पीछे कोई भी नहीं दिख रहा था और मेरा घर अब नजदीक ही आ गया था।
तभी पीछे से किसी के आने की आहट सुनाई दी।
मैंने पीछे पलट कर देखा तो आकाश अपनी साईकिल से आ रहा था।
जैसे ही वो मेरे पास आया तो उसने साईकिल रोक दी और मुझसे बोला- एक मिनट रुक सकती हो क्या?
मैं रुक गई.
उसने मुझे एक लिफाफा पकड़ा दिया और बोला- इसमें जो लिखा है उसका जवाब जरूर देना. बस किसी को बोलना मत, भले ही तुम्हारा जवाब कुछ भी हो।
उसके हाथ से मैंने लिफाफा ले लिया और अपने बैग में रखकर घर की तरफ चल दी।
घर पहुंचकर मैं अपने कमरे में गई और जल्दी से उस लिफाफे को खोलकर उसमें जो पत्र था उसको पढ़ने लगी.
उस लैटर में आकाश ने अपने प्यार का इजहार किया था।
सारी रात मैं उसके बारे में सोचती रही कि उसको मैं क्या जवाब दूं।
मुझे इस बात का भी डर था कि कहीं वो ये बात किसी को बता न दे।
मगर फिर मुझे खयाल आया कि वो एक शादीशुदा लड़का है और मुझसे ज्यादा डर तो उसको ही है और वो कभी भी ये बात किसी के सामने नहीं आने देगा।
मैंने फैसला कर लिया कि उसको हां कर दूँगी।
दो दिन बाद मैंने भी एक पत्र लिखा और कॉलेज जाते वक्त उसको दे दिया।
उसके बाद से हम दोनों की प्रेम कहानी शुरू हो गई।
मैंने आकाश के बारे में अपनी सभी सहेलियों को बता दिया क्योंकि मैं उनसे कुछ भी बात नहीं छुपाती थी।
मेरी और आकाश की बातें भी अब फोन पर होने लगीं मगर वो रात में बात नहीं करता था क्योंकि उस वक्त उसकी बीवी उसके पास रहती थी।
मगर दिन में जब मैं कॉलेज जाती तो घंटों हम दोनों बातें किया करते थे।
धीरे धीरे बात आगे बढ़ती गई और हम दोनों के बीच में सेक्स को लेकर भी बातें होने लगीं। अब हम दोनों सेक्स के बारे में खुलकर बातें करते थे।
उसने मुझे बताया कि वो अपनी बीवी से बिल्कुल भी खुश नहीं है क्योंकि वो बिल्कुल ठंडी औरत थी और उसको सेक्स में बिल्कुल भी रुचि नहीं थी. उसकी बातों से साफ था कि उसने मुझसे सेक्स के लिए ही दोस्ती की थी।
मैं भी वही तो चाहती थी कि मेरी सेक्स की भूख को वो शांत करता रहे।
बातों ही बातों में उसने मुझे सेक्स के लिए भी बोला और कुछ टालमटोल करने के बाद मैं उससे मिलने के लिए तैयार हो गई।
बस अब हम दोनों को सही मौके का इंतजार था. एक महीने के अंदर ही हम दोनों को मौका मिल गया।
आकाश के घर के सभी लोग किसी शादी के लिए कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहे थे और घर पर आकाश अकेला रहने वाला था।
हम दोनों ने पहले से ही ये तय किया था कि मैं कॉलेज के लिए घर से निकलूंगी और आकाश के घर पर दिन भर रहूंगी।
मगर जब ये बात मैंने अपनी सहेलियों को बताई तो उन्होंने मुझे रात भर उसके साथ रहने के लिए कहा।
मेरे लिये ये बहुत मुश्किल था और इसमें मेरी सहेलियों ने मेरी मदद की।
उन्होंने मेरे घर से ये बोलकर इजाजत ले ली कि मैं उनके साथ किसी पार्टी में जा रही हूं।
मेरे मम्मी-पापा ने भी बिना किसी पूछताछ के इज़ाजत दे दी।
अब मैं आकाश के साथ सारी रात उसके घर पर रहने वाली थी।
मैं बेसब्री से उस दिन का इंतजार करने लगी। दिल में एक अलग ही उमंग थी. मन में अलग अलग बातें चल रही थीं कि आकाश मेरे साथ क्या क्या करेगा।
जिस दिन मुझे आकाश के घर जाना था उससे एक दिन पहले मैं बाजार से वैक्स क्रीम ले आई।
नहाने के समय मैंने बाथरूम में अपने सारे कपड़े निकाले.
मैं नंगी आईने के सामने खड़ी होकर अपने बदन को निहारते हुए सोच रही थी कि आज मेरे जिस्म की प्यास बुझने वाली है.
ये सोचकर ही मेरे निप्पल तन गये थे.
अपने सभी गुप्तांगों के बालों को मैंने क्रीम से साफ किया। उसके बाद तो मेरा बदन और भी दमकने लगा।
अगले दिन सुबह 11 बजे मुझे मेरी सहेलियां लेने आ गईं और मैं घर से निकल गई।
दिन भर सहेलियों के साथ मैंने मौज मस्ती की, फ़िल्म देखी और शाम 6 बजे मैं आकाश के साथ उसके घर चली गई।
अब रात भर मुझे उसके साथ ही रहना था।
मेरी पहली चुदाई का समय आ गया था और मेरा कुँवारापन अब खत्म होने वाला था।
हम दोनों ही घर पर बिल्कुल अकेले थे। उस दिन मैंने सलवार सूट पहन रखा था।
आकाश ने मुझे अपने कमरे में बैठाया और हम लोग काफी समय तक बातें करते रहे।
आकाश ने पहले ही होटल से खाना मगा लिया था और रात 9 बजे हम दोनों ने खाना खाया।
मुझे आकाश का साथ बहुत अच्छा लग रहा था और उस वक्त मेरे दिमाग से दुनिया का हर डर मिट चुका था।
दिल में एक अजीब सी सिरहन उठ रही थी और चूत में अजीब सी खुजली।
करीब दस बजे आकाश और मैं सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे, वो मेरे बगल में ही बैठा हुआ था।
हम दोनों को ही किसी तरह की जल्दबाजी नहीं थी क्योंकि हमारे पास पूरी रात थी।
आकाश ने मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया. बस अब मेरी धड़कन की रफ्तार दोगुनी हो गई।
एक झटके में उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मुझे अपनी गोद में लिटा लिया।
मैं उस वक्त बिना दुपट्टे के उसकी गोद में लेटी हुई थी, मेरे दोनों दूध मेरी आती जाती गहरी सांस के साथ ही साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।
आकाश पहले तो मेरे गालों को सहलाता रहा और फिर झुक कर उसने मेरे होंठों को अपने होंठों पर दबा लिया।
मैं उसकी गोद में लेटी हुई थी और उसके कड़क लंड का अहसास मुझे हो रहा था।
वो लगातार मेरे होंठों को चूमता जा रहा था और मैं भी अपने आप को उसे सौंप चुकी थी।
कुछ समय तक उसने मेरे होंठों का रसपान किया और फिर मुझे बेडरूम में ले गया।
वहाँ जाकर उसने मुझे खड़ी किया और फिर मुझसे लिपट गया।
धीरे धीरे उसने मेरी सलवार कमीज निकाल दी और अपने कपड़े भी निकाल दिए।
मैं अब ब्रा-पैंटी में उसके सीने से लिपटी हुई थी और वो भी बस अंडरवियर में ही था।
मुझे बहुत शर्म आ रही थी और आकाश मुझे बेइंतहा चूमे जा रहा था।
धीरे से उसने मेरी ब्रा भी निकाल दी और मेरे दूध आजाद होकर उसके सीने से चिपक गए।
वो मेरे दूध पर टूट पड़ा और उसे चूमते हुए लगातार दबाए जा रहा था।
फिर उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे ऊपर आ गया; पहले मेरे गालों को चूमा और फिर होंठों को चूमते हुए मेरे सीने पर पहुँचा।
कुछ समय तक मेरे निप्पलों को चूमने के बाद वो मेरी नाभि और फिर जांघों पर जा पहुँचा।
जांघों को चूमते हुए उसने मेरी पैंटी निकाल दी।
अब मैं पूरी तरह से नंगी थी।
मेरी दमकती हुई उभरी चूत को देखते ही उसने अपनी जीभ उस पर लगा दी।
मैं एकदम से सिसकार उठी- आह्ह … आह्ह … आकाश। उस्स … आह्ह … ओओ … हाह् … वोह् … हाह् … स्स् … आकाश।
मैं मछली की तरह बिस्तर पर मचलने लगी और वो मेरी चूत को चूसता जा रहा था।
वो मेरी जिंदगी का सबसे यादगार पल था जब कोई मर्द मेरी कुँवारी बुर को पहली बार चूम रहा था।
अब मैं आँखें बंद किये हुए उस पल का मजा ले रही थी।
उसके बुर चूसने से मेरी बुर ने जल्द ही पानी छोड़ दिया और मैं झड़ गई।
मगर उसने मुझे अभी तक नहीं छोड़ा था और लगातार मेरी चूत की चुसाई किये जा रहा था।
जल्द ही मैं एक बार फिर से गर्म हो गई थी।
सच में आकाश को चुदाई का अच्छा अनुभव था. वो मुझे मस्त करता जा रहा था; अपने हर अनुभव का उसने मेरे ऊपर उपयोग किया।
अब मैं बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुकी थी. मेरी दोनों जाँघें अपने आप कांपने लगी थीं और मैंने अपना सीना हवा में उठा लिया था।
ये सब देखकर आकाश समझ गया कि अब मैं चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार हूं।
अब उसने मेरी चूत को छोड़ दिया और अपनी अंडवियर निकाल दी।
पहली बार मैंने उसके लंड का दीदार किया।
बिल्कुल काला और मोटा लंबा लंड मेरी नजर के सामने था।
उसका लंड कम से कम सात इंच का तो था ही!
उसे देखकर मुझे डर लगा कि ये काला नाग जैसा लंड किस तरह से मेरी बुर में जायेगा।
अब वो मेरे ऊपर आ गया और अपने एक हाथ से अपने लंड को मेरी बुर पर ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगा।
आकाश का लंड काफी गर्म था. चूत पर लगते ही मेरी तो सिसकारी निकल गयी.
उसने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने लंड के पास ले जाकर उसे पकड़ने का इशारा किया।
मैंने शर्माते हुए उसके लंड को अपने हाथ में ले लिया। उसका लंड मेरे हाथों में नहीं समा रहा था. मैंने उसे थामा और आगे पीछे करते हुए सहलाने लगी।
उसके लंड से निकल रहा गाढ़ा पानी मेरी हथेली पर लग रहा था। मैं उस पानी को उसी के लंड पर मसल रही थी।
कुछ समय में उसने फिर से लंड अपने हाथ में ले लिया।
अब उसने मेरे दोनों पैरों को फैला दिया और लंड को चूत पर लगा दिया।
अब मैं समझ गई कि मेरी कुँवारी चूत फटने वाली है।
मैं बोली- आकाश, आराम से करना।
उसने कहा- तुम चिंता मत करो जान … कुछ नहीं होगा।
फिर उसने लंड को चूत पर लगाकर मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
हम दोनों के ही चेहरे एक दूसरे के सामने थे।
उसने मेरे होंठों को चूमते हुए और मेरी आँखों में देखते हुए कहा- तैयार हो न?
मैंने शर्माते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।
अब उसने लंड पर दबाव डालना शुरू किया; लंड का सुपारा बुर के छेद के अन्दर जाने लगा।
जैसे जैसे सुपारा अंदर जा रहा था मेरे मुँह से आवाज़ निकलने लगी- आआ … आह्ह … आऊऊ च्च … आह् … आईई … ऊह्ह … नहीं … आआ … आराम से!
अभी मुश्किल से उसके लंड सुपारा ही अंदर गया था कि चूत में बेहद कसाव आ गया और लंड अंदर नहीं जा रहा था।
उसने मुझे कस लिया और बिना कुछ बताए ही एक जोर का धक्का लगा दिया।
मेरी चीख पूरे कमरे में गूंज उठी।
उसने तुरंत ही मेरा मुँह दबा दिया और फिर दूसरा और फिर तीसरा धक्का भी लगा दिया।
उसका लंड चूत को चीरता हुआ अंदर गहराई तक पहुँच गया।
मेरी हालत उस वक्त ऐसी थी कि जैसे कोई गर्म रॉड मेरी चूत में पेल दिया गया था।
इतना ज्यादा दर्द था कि बयां कर पाना मुश्किल है। मेरी आंखों से आँसुओं की धारा निकल रही थी।
आकाश ने मेरा मुँह जोर से दबा रखा था। मैं अपने पैरों को जोर जोर से पटक रही थी मगर आकाश किसी माहिर खिलाड़ी की तरह मुझे जकड़े हुए था।
कुछ देर बाद उसने अपना आधा लंड बाहर निकाला और फिर से अंदर पेल दिया।
इस तरह उसने कई बार ऐसा किया।
करीब 15 मिनट के बाद मेरा दर्द काफी कम हो गया।
मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया और आकाश ने मेरे मुँह से अपना हाथ हटाया।
मैंने एक गहरी सांस ली और आकाश ने मुझे चूमते हुए कहा- अब कुछ नहीं होगा जान … सब ठीक हो गया।
फिर उसने हल्के हल्के मेरी चुदाई शुरू कर दी।
मेरी भी आहें निकलना शुरू हो गईं- आह्ह … आआह … ओह्ह … आह्ह … ऊई … आह्ह … आई … याआआ … आह।
अब मुझे भी मजा आने लगा और आकाश ने अपनी रफ्तार तेज कर दी।
कुछ ही देर में वो इतनी तेजी से चोदने लगा कि पूरा पलंग जोर जोर से हिलने लग गया।
हम दोनों की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थीं।
मेरी भी गांड अपने आप उचकने लगी. मैं भी आकाश का साथ देने लगी।
सच में दोस्तो, उस चुदाई का मजा कभी नहीं भूलती मैं. पहली बार लंड का सुख मुझे मिल रहा था।
आकाश भी चुदाई में अव्वल था, मगर वो भी अपनी बीवी से सुखी नहीं था। इसलिए आज वो भी मेरी चूत का भोसड़ा बनाने पर आमादा था।
वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. दनादन मेरी चुदाई किये जा रहा था।
उसके धक्के मेरी चूत में इतनी तेजी से लग रहे थे कि फट फट की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी।
मैं भी उससे लिपटी हुई थी और उसका पूरा साथ दे रही थी। मेरा खुला साथ पाकर उसका जोश दोगुना हो गया था।
जल्द ही मैंने उसे जोर से जकड़ लिया और झड़ गई।
मेरे झड़ते ही वो भी मेरे अंदर ही झड़ गया।
हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए यूं ही लेटे रहे और उसका लंड कब फिसल कर बाहर आ गया पता नहीं चला।
उसके बाद तो सारी रात रुक रुक कर उसने मेरी चुदाई की। सारी रात हम दोनों नहीं सोए और उसने अलग अलग आसन में मुझे पांच बार चोदा।
सुबह 4 बजे तक हमारी चुदाई का खेल चलता रहा। फिर हम सो गये.
10 बजे के करीब मैं तैयार होकर अपने घर चली आई।
उसके बाद चुदाई का सिलसिला चलता रहा और मौका मिलते ही हम दोनों चुदाई करते।
इस तरह से दो साल तक आकाश ने मुझे जी भरकर चोदा।
उसके बाद मेरा संबंध पास के ही एक अंकल से जुड़ा।
अंकल के लंड से चुदाई की कहानी भी मैं आप लोगों को सुनाऊँगी।