किरायेदार ने मेरी चूत चोद दी

दोस्तो, मेरा नाम नेहा है। मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ; मैं 40 साल की हूं।
मेरे पति दुबई में रहते हैं; वहां उनका अपना बिज़नेस है।

मुझे दुबई बिल्कुल पसंद नहीं है इसलिए मैंने अपने दो बच्चों के साथ यहाँ दिल्ली में रहने का फैसला किया।

मेरे दोनों बच्चे अभी स्कूल की पढ़ाई कर रहे हैं। मेरी सेक्स चुदाई कहानी शुरू करने से पहले मैं पहले थोड़ा अपने बारे में बता देती हूँ।

मैं एक भरे हुए शरीर की महिला हूँ। चूचियों का साइज मेरा 38 का है और गांड भी बहुत बड़ी और मोटी है।

पति के जाने के बाद में मुझे बहुत अकेलापन महसूस होने लगा।
जब पति यहाँ थे तो हम हफ्ते में 5 दिन चुदाई कर ही लेते थे।

पति के जाने के बाद अब मेरी चूत प्यासी रहने लगी थी। मैं उंगली डालकर चूत की प्यास को बुझाया करती थी।

हमारा घर बड़ा था और मैं सारे घर की देखभाल, सफाई अकेली नहीं कर सकती थी।

मेरे पति को गये हुए दो साल हो गये थे और फिर मैंने हमारा मकान किराये पर दे दिया।
नीचे वाले हिस्से में हम रहते थे और ऊपर वाले में किरायेदार रहने लगे।

वहां एक पति पत्नी रहने आये थे। महिला की उम्र करीब 32 साल की होगी और आदमी 35 साल के आस-पास का था।
उनके नाम सुधा और यतिन थे।

यतिन एक आई.टी. कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और सुधा भी एक आई.टी. कंपनी में ही काम किया करती थी।
दोनों की कोई संतान नहीं थी।

यतिन देखने में बहुत ही हैंडसम था।
वो देखने में कद का लम्बा, भरी हुई बॉडी का बन्दा था।

सबसे ज्यादा उसमें एक बात जो मुझे अच्छी लगती थी वो था उसका मुझे शरारत भरी नजरों से देखना।

करीब 3 महीने ऐसे ही गुजर गए। मेरी दोनों से नॉर्मल बात हुआ करती थी। कभी कभी खाना बनाकर मैं उन्हें दे दिया करती थी।
मैंने कभी किसी चीज़ के लिए उन्हें मना नहीं किया।

करीब तीन महीने बाद सुधा के ऑफिस का समय रात का हो गया और यतिन का दिन का ही रहा।
सुधा को रात में ऑफिस जाते वक़्त करीब एक हफ्ता हो गया था।

इधर मेरे दोनों बच्चों के स्कूल की छुट्टियाँ पड़ गयी थीं और वो हमेशा की तरह अपनी नानी के पास जाने की जिद करने लगे।

एक दिन मेरा भाई आया तो मैंने दोनों को उसके साथ भेज दिया।

मैं नहीं गयी उनके साथ क्योंकि यहाँ घर को अकेला नहीं छोड़ सकती थी।

अब घर में दिन में सुधा और रात में मैं और यतिन ही रहा करते थे।

एक दिन सुधा के ऑफिस जाने के बाद रात के करीब 10 बजे मेरा मन छत पर घूमने का हुआ।

मैं जैसे ही छत पर गयी तो देखा कि यतिन वहां पहले से ही घूम रहा था।
मुझे देखकर वो मुस्करा दिया। साथ ही मैंने भी मुस्कराहट के साथ उसका जवाब दिया।

वहां ऊपर बहुत अच्छी हवा चल रही थी।
मैंने यतिन को बोला- आज कितना अच्छा मौसम है न?
यतिन- सही कहा भाभीजी, ऐसी हवा भी कभी कभी नसीब होती है।

मैंने बोला- क्या तुम्हें नींद नहीं आ रही है? दिनभर बाहर काम करके आते हो तो आराम की जरूरत तो पड़ती होगी आपको?

यतिन- भाभी जी, एक अच्छी नींद लिये हुए अरसा हो गया। सुकून की नींद तो बचपन में ही आया करती थी। अब तो बस जबरदस्ती सोना पड़ता है।

मैं- सही कहा यतिन। जैसे जैसे उम्र बढ़ रही है वैसे वैसे ज़िन्दगी से सुकून ख़त्म होता जा रहा है।
यतिन- क्या आपको नींद नहीं आ रही?
मैं- नहीं मेरी भी नींद आप की तरह ही है। लेट ही सोती हूँ और कभी कभी तो सो ही नहीं पाती।

यतिन- ओह … मुझे लगा सिर्फ मेरा ही यही हाल है।
धीरे धीरे हमारे बीच बातें हुईं और हम एक दोनों से अच्छे बात करने लगे।

वो बोला- भाभीजी, भाई साहब 2 साल से इंडिया वापस नहीं आये हैं। क्या आपको उनकी कमी महसूस नहीं होती? मन नहीं करता उनसे मिलने का? आखिर पति हैं आपके और कोई पति-पत्नी कैसे एक दूसरे से इतने दिन तक दूर रह सकते हैं?

मैं- याद तो बहुत आती है मगर कर क्या कर सकते हैं … अब इतनी दूर से बार-बार आ भी तो नहीं सकते। बस काट लेते हैं समय मन मार कर!

यतिन- वैसे आप इतनी खूबसूरत हैं। कोई पति कैसे आप जैसी वाइफ से दूर रह सकता है? मेरी पत्नी अगर आप जैसी हो तो मैं हमेशा उसके साथ ही रहूँ।
मैं हँस पड़ी.
और मेरे साथ साथ यतिन भी हँस पड़ा।

मैं हँसती हुई बोली- इतनी भी सुंदर नहीं हूँ मैं! वैसे सुधा भी कम सुन्दर नहीं है। तुम भी बहुत खुशनसीब हो।

यतिन- भाभीजी … दूर के ढोल सुहावने होते हैं।
मैं- मैं कुछ समझी नहीं?

यतिन- बहुत सी चीज़े ऐसी हैं हमारे बीच में जो सही नहीं हैं। कुछ चीजें हैं जो वो मुझे आज तक नहीं दे पायी।

मैं समझ चुकी थी कि यतिन क्या कहना चाहता था और उसके बोलने से पहले मैं बोल पड़ी- तुम दोनों की सेक्स लाइफ तो अच्छे से चल रही है ना?

यतिन थोड़ा सा हैरान हो गया मेरे मुँह से यह बात सुनकर और फिर बोला- नहीं भाभी जी, सेक्स ही ऐसी चीज़ है जो वो कभी दे नहीं पायी मुझे! पहले तो कभी उसका मन करता ही नहीं। हमेशा मना कर देती है। अगर कभी कभी मान भी जाये तो मुझे संतुष्ट नहीं कर पाती है।

मैं बोली- यह तो बहुत ही बुरी बात है। जब तक सेक्स लाइफ अच्छी ना हो तब तक रिश्ता अच्छा नहीं चल सकता।
यतिन ने मेरी तरफ देखा और बोला- भाभीजी, आप भी तो अकेली हैं। आप को जरूरत नहीं होती क्या?

इस पर मैंने कहा- जरूरत तो बहुत है मगर क्या करें … पति है नहीं तो मन मारकर रहना पड़ता है यहाँ!
बातों बातों में मैंने यतिन को बताया कि मैं कैसे उंगली करके अपनी प्यास मिटाती हूँ और पति के जाने के बाद कभी किसी के साथ सेक्स भी नहीं किया।

यतिन ने भी मुझे बताया कि कैसे वो भी हाथ से अपना माल निकाल कर अपने आपको संतुष्ट करता है।

मैं अपने अंदर की आग को रोक नहीं पायी और यतिन के हाथ को पकड़ लिया।
अब यतिन भी समझ चुका था कि मुझे क्या चाहिए।

उसने मुझे किस कर लिया और फिर हम नीचे कमरे में आ गये।
आते ही यतिन मेरे होंठों को बेइन्तेहा चूमने लगा।
मैं भी भरपूर उसका साथ दे रही थी।

हम दोनों एक दूसरे के मुँह में मुँह घुसाकर होंठों को चूमने लगे।
यतिन मेरे चूचों को दबाने लगा और फिर मेरी साड़ी उतार दी।

फिर वो मेरे पेटीकोट को उठाकर मेरी मोटी गांड को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा।

उसके बाद उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और ब्लाउज भी उतार दिया।
अब मैं उसके सामने बस ब्रा और पैंटी में खड़ी थी।

उसने मुझे बेड पर धकेल दिया और मेरी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा; फिर मेरी ब्रा को खोल दिया।

मेरे चूचे देखकर वो पागल हो गया। चूचों के दाने एकदम से तन गये थे और बहुत कड़क चूचे हो गये थे मेरे!
उसने मेरे दोनों चूचों को हाथ से दबाया और अपना मुँह मेरे चूचों के बीच में डाल दिया।

फिर मेरा एक चूचा मुँह में डालकर एक हाथ पैंटी पर रख दिया।
मैं पागलों की तरह सिसकारी लेने लगी।
यतिन मेरे दोनों चूचों को चूसे जा रहा था।

कुछ देर मेरे चूचे चूसने के बाद वो उठा और मेरी नाभि को चूसने लगा।

फिर धीरे धीरे मेरी पैंटी के पास आया और नाक लगाकर सूंघने लगा और बोला- भाभी बहुत ही मस्त खुशबू आ रही है आपकी चूत से! मैं कब से इस खुशबू के लिए तरस रहा था।

इतना बोलते ही उसने मेरी पैंटी के ऊपर से चूत को चूम लिया। फिर दोनों उंगली मेरी पैंटी की साइड में डालकर उसे उतार दिया।

अब मेरी नंगी चूत उसके सामने थी।
उसे देखते ही वो बोला- ऐसी चूत मैंने आज तक नहीं देखी है।
वो मेरी चूत के होंठों को उंगली से सहलाने लगा।

मैं उसकी मोटी उंगली को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी।
जब मेरे से सहन नहीं हुआ तो मैं बोली- यतिन … अपनी भाभी की चूत को मत तड़पाओ। आज इसे तुम्हरे लंड की जरूरत है। देखो … मैंने बाल भी साफ़ किये हुए हैं।

यतिन- भाभी, लंड से पहले इसे मेरी जीभ की जरूरत है। ऐसी चूत के लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ।
इतना बोलते ही यतिन ने मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया। मैं सिहर उठी और उसने अपना मुँह मेरी चूत में घुसा दिया।

फिर अचानक से मुझे मेरी चूत के अंदर उसकी जीभ महसूस हुई।
अब यतिन मेरी चूत को अच्छे से चाटने लगा; कभी मेरे दाने को काटता तो कभी चूत के अंदर जीभ डालता।

मैं भी आनंद में आहें भरने लगी। आज तक कभी किसी ने मेरी ऐसे चूत नहीं चाटी थी जैसे यतिन चाट रहा था।
मेरी चूत से हल्का हल्का पानी आने लगा जिसे यतिन चाट रहा था।

कुछ देर बाद वह उठा और मुझे कुतिया बनाकर मेरी चूत में पीछे से उंगली डालने लगा।
उसके बाद उसने मेरी चूत को पीछे से चाटना चालू कर दिया।

पता नहीं कब उसकी जीभ मेरी चूत से मेरी गांड पर चली गयी।
वो कभी मेरी चूत में जीभ डालता और कभी गांड में!

मैं भी अब पागल हो चुकी थी और बिना कोई शर्म किये बोलने लगी- यतिन तुम बहुत अच्छा चाट रहे हो। इस चूत को आज तुम्हारे लंड की बहुत जरूरत है … आह्ह … स्स्स … ये चूत तुम्हारी प्यासी है … खा जाओ मेरी चूत को … आह्ह …बना लो अपनी रंडी मुझे!

मस्ती में आकर मैं भी अपनी मोटी गांड को आगे पीछे करके अपनी चूत चटवा रही थी। फिर वो उठा और अपनी पैंट और टीशर्ट को उतार दिया।

अब वो सिर्फ अंडरवियर में खड़ा था और मैं उसके फौलादी लंड के उभार को घूरकर देख रही थी।

यतिन बोला- देख क्या रही है … अभी तो मेरी रंडी बनने को तैयार थी … आजा … आजाद कर दे इसे मेरे अंडरवियर से और बना ले इसे अपना!

मैं उठी और उसके फौलादी लंड को अंडरवियर के ऊपर से छुआ।
क्या मस्त लंड था … एक दम से कड़क … करीब 7 या 8 इंच का जरूर होगा।

अब आगे बढ़ते हुए मैंने उसका अंडरवियर उतार दिया और उसका बड़ा लंड देखकर मेरी आँखों में चमक आ गयी।

मैं बहुत ही मज़े से उसके लंड को सूंघने लगी और फिर टोपे को जीभ से चाटने लगी।
यतिन के मुँह से आह … निकल गयी। यतिन ने मेरा सिर पकड़ा और लंड मुँह के अंदर दे दिया।

अब लंड मेरे हलक तक जा चुका था और मैं मज़े से उसे चूस रही थी।
यतिन तेज़ तेज़ झटके मेरे मुँह में दे रहा था और मैं भी लंड के मज़े ले रहे थी।

उसके लंड से नमकीन पानी आने लगा जो मैं अपने मुँह में महसूस कर रही थी।

थोड़ी देर बाद यतिन ने मुझे नीचे से उठाकर बिस्तर पर लिटाया और मेरी टाँगें खोलकर मेरी चूत को चाटा और फिर उसके ऊपर अपना लंड फिराने लगा।

मैं पागल हो गयी और उससे लंड डालने के लिए बोलने लगी। यतिन ने मेरी चूत में आधा लंड झटके से घुसा दिया और मैं एकदम से चीख पड़ी।

बहुत दिनों के बाद लंड मेरी चूत में गया था तो मैं दर्द के मारे चिल्ला पड़ी।
मेरे दर्द की चिंता किये बिना यतिन ने मेरी चूत में आधा बचा हुआ लंड भी ठूंस दिया और अब मैं दर्द के मारे छटपटा उठी।

इतना मोटा लंड था कि उसने मेरी चूत को फाड़कर रख दिया और दर्द के मारे में जैसे बदहवास सी हो गयी।
यतिन ने फिर मेरे होंठों पर चूमना चालू कर दिया।

अब जैसे ही मेरा दर्द कम हुआ तो उसने लंड को आगे पीछे करना चालू कर दिया।
मैं भी मज़ा लेने लगी थी, मैं भी उसका साथ दे रही थी, गांड उठा उठाकर उससे चुद रही थी।

मेरी हर एक सिसकारी से यतिन को जोश आ रहा था और वो तेज़ तेज़ मुझे चोद रहा था।
सच में इतने सालों बाद चुदाई का असली मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद यतिन नीचे लेट गया और मुझे लंड पर बैठाकर चोदने लगा।
उसका पूरा लंड मेरी बच्चेदानी को छू रहा था और मैं मज़े से उछल उछलकर लंड के मज़े ले रही थी।

हम दोनों अलग अलग पोजीशन में चुदाई करने लगे।

अचानक से मेरे पैर अकड़ने लगे और मैं चरम सीमा पर आने लगी।

यतिन का लंड मेरी चूत में था और अचानक से मैं चिल्लाते हुए झड़ गयी।

उसके कुछ देर के बाद यतिन के लंड ने भी गर्म लावा मेरी चूत में छोड़ दिया और हम दोनों हांफते हुए एक दूसरे के ऊपर गिरे रहे।

ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत में लंड का कोई तूफान आकर चला गया हो और उसने मेरी चूत को तहस नहस कर दिया हो।

इतना मजा चुदाई में कभी पति के साथ नहीं आया जितना मुझे उस पराये मर्द के साथ आया।

इस तरह हमने सुबह के 5 बजे तक चुदाई की।
मैं उस रात 5 बार झड़ी और यतिन 3 बार!

5 बजे यतिन उठकर अपने फ्लोर पर चला गया क्योंकि 7 बजे सुधा को वापस आना था। मैं भी उठी और नहाकर सो गयी।

उस रात के बाद जब भी मुझे और यतिन को मौका मिलता हम चुदाई करते और अपनी प्यास मिटा लेते।
तो दोस्तो, इस तरह से मैंने अपने घर में रहने वाले पराये मर्द से चूत मरवायी और पति की कमी को पूरा किया।

आशा करती हूँ आपको मेरी यह कहानी पसंद आयी होगी।
अगर इस कहानी पर आप अपनी कोई राय देना चाहते हैं तो मुझे नीचे दी गयी ईमेल आईडी पर मेल कर सकते हैं।

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