देसी मामी को खेत में पेला- 2

में आपने पढ़ा था कि मामी को नंगी नहाते देखने के बाद मैंने उनको चोदने की ठान ली।
फिर मामा को काम से बाहर जाना पड़ा और उन्होंने मामी और मुझे साथ में खेत पर सिंचाई करने को कहा।
पहले दिन ही मैंने मामी को अपना लौड़ा दिखा दिया और उसको वहीं खेत में पटक कर चोद दिया।

चार बार चुदाई करके हम लोग शाम को घर पहुंचे। मामी और मैं उस दिन बहुत खुश थे।

अब आगे की मामी Xxx कहानी:

मामा एक हफ्ते के लिए बाहर गए थे तो मामी और मैंने रोज खेत में एक दूसरे को चूस चूस कर खाया।
खूब मजे किए … मैंने एक हफ्ते में जी भर कर मामी जी को चोदा।

मामी को मेरा हथियार और मेरे चोदने की स्टाइल पसंद आयी।
वो भी अब बहुत इन्जॉय करने लगीं।

मामी को घोड़ी बनाकर, कंधे पर पैर रखवाकर, ऊपर उठाकर, 69 करके, मुँह में देकर, गांड मारकर … मैंने उनके साथ खूब ठुकाई की।

वो भी अब मेरे साथ फुल मस्ती करने लगी थी और अपनी सारी इच्छा वो मेरे से पूरी करने लगी।

मामी की हवस बहुत ज्यादा थी लेकिन मामा उसकी वासना को शांत नहीं कर पाता था जिसकी वजह से वैशाली मामी कई दिनों से प्यासी थी।
अब मेरा लंड खाने के बाद उसको बहुत संतुष्टि मिल रही थी।

शेरनी के मुँह खून लग गया था।

हफ्ते भर के बाद मामा राजस्थान से वापस आया और फिर वो खेत में मामी के साथ जाने लगा।
इसलिए अब मेरा खेत में जाना बंद हो गया।

मैं मामी को पेलने के लिए तड़पने लगा क्योंकि हफ्ते भर में मुझे भी सेक्स की आदत हो गई थी।
मामी भी मुझसे चुदवाने के लिए तड़प रही थी।

वो मेरे घर के बाजू में रहते हैं तो मेरी खिड़की से उनकी खिड़की दिखती है।
मामी मुझे इशारा करती थी लेकिन हमें अब कोई अवसर मिल नहीं रहा था क्योंकि सुबह मामा मामी खेत में चले जाते थे और मैं कॉलेज को निकल जाता था।

मेरे घर में भी कोई जुगाड़ की गुंजाइश नहीं थी क्योंकि मेरी माँ घर पर ही रहती थी।
अब क्या करें … इस जुगाड़ के चक्कर में महीना निकल गया।

मैं रोज सुबह 4 बजे उठता था और दौड़ लगाने के लिए जाता था और मामा मामी को भी खेत में जाना होता था तो मामी भी 4 बजे उठती थी और बाहर चूल्हे पर पानी गर्म करके नहाती थी।

फिर बाहर चूल्हे पर ही रोटियां और सब्जी बनाती थी।
मामा 6 बजे उठता था तब तक मामी नहा धोकर सब्जी वगैरह बना कर रेडी रहती थी।

एक दिन मैं दौड़ के लिए निकल ही रहा था, तभी मामी भी उनके घर के बाहर चूल्हे पर पानी गर्म कर रही थी।
मामी और मेरी नज़र एक हो गयी।

4:30 बज रहे थे सुबह के!
मुझको देखकर मामी मुस्करा रही थी और मैंने उसको आँख मारी।
वो मुस्करा दी।

मैंने आसपास देखा औऱ उनको बाहर बुलाया।
वो आई और बोली- क्या हुआ?
मैंने मेरे लंड की ओर इशारा करके मेरा हाल बताया।

मामी- सचिन मुझे भी करना है। मुझे तेरी बन्दूक की आदत हो गयी है लेकिन क्या करूँ जुगाड़ के लिए कोई जगह ही नहीं है। सुबह से शाम तक तेरे मामा के साथ खेत में रहती हूँ। समय ही नहीं मिल रहा है।

मैं- मामी मैं कुछ सोचता हूँ, फिर बताऊंगा आपको!
मामी ने हां की और मैं रनिंग करने के लिए चला गया।
दिन भर सोचने के बाद मुझे एक आइडिया आया।

मामी 4 बजे उठती थी, मैं भी 4 बजे ही उठता था। मामा करीबन 6 बजे तक उठता था।
हमारे आजू बाजू वाले घर के लोग भी 6 बजे तक उठते थे।
मतलब सुबह का समय चुदाई करने के लिए जबरदस्त समय था।

जगह का विचार करने के बाद मुझे जगह भी सूझ गयी।
मेरा और मामा का घर साथ सटा हुआ है और पीछे एक गली है पतली सी और उनके घर के पीछे भी दो पुराने घर हैं।

उसकी वजह से वो गली ब्लॉक है मतलब जैसे लकड़ी वगरैह रखने के लिए जगह बनाई हुई थी।
मामी के घर के पिछले हिस्से वाली खिड़की भी उधर से है लेकिन उधर से कोई आता नहीं था।
हमारी तरफ ऐसी गली को शेरी कहा जाता है।

मेरे चेहरे पर चमक आ गयी। मैंने ठान लिया कि अब वैशाली मामी को पीछे वाली शेरी में चोदना है।

मैं शाम को मामी के घर गया तब वो घर में अकेली थी।
मैंने उनको सब बताया लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
वो बोली- सुबह तेरे मामा अगर जग गए तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी।

मगर मैं कहां मानने वाला था।
मैंने उनको कहा कि सुबह आ जाना … राह देखूंगा। मैंने मामी जी को 4:30 बजे का टाइम दिया।

अगले दिन सुबह चार बजे मैं उठ गया और रनिंग के बहाने घर से निकल गया।
मामी के घर के बाहर अभी कोई दिखा नहीं।
मेरा मन नाराज हो गया।

तभी मामी के घर का दरवाजा खुला और मामी बाहर आयी।
मैंने उनको पीछे शेरी में आने का इशारा किया लेकिन उन्होंने इशारे से मना कर दिया।

मगर फिर मैंने थोड़ा गुस्से में उनको इशारा किया कि मैं हमारी घर बाजू से पीछे जा रहा हूँ। तुम भी आ जाओ।
मैं जल्दी से मेरे घर के बाजू से पीछे की शेरी में चला गया और वैशाली मामी जी के घर के पीछे वाली खिड़की की तरफ आ गया।

मैं खिड़की से अंदर देखने लगा। उनकी पीछे वाली खिड़की पर जाली लगाई हुई है ताकि उस वीरान गली से कोई साँप वगैरह घर में ना आए।

फिर मैंने खिड़की से अंदर झाँका तो देखा कि मामा सो रहा था। उनका सामने वाला दरवाजा खुला था, मतलब मामी अभी भी बाहर वाले चूल्हे की तरफ थी।

मामा का सिर मेरी तरफ मतलब उनके घर के पीछे वाली गली की तरफ था। इसकी वजह से उसको कुछ दिखने की गुंजाइश ही नहीं थी।
मगर ज्यादा आवाज नहीं करनी थी।

अब मैं तो आ गया लेकिन अभी तक मामी नहीं आई थी।

पांच मिनट के बाद मैंने उनके घर के बाजू से मामी को आते देखा।
मैं मामी को देख कर खुश हो गया।

मामीजी के सेक्सी गदराये बदन को देखकर मेरा नाग फनफनाने लगा।

दबे पांव से चलकर मामी मेरी तरफ आयी और खिड़की से अंदर झाँक कर देखा कि मामा सोया है कि जाग गया।
मामा सो रहा था अभी तक!

उसके बाद मैंने मामीजी को मेरी बाँहों में जकड़ लिया और उसे किस करने लगा।
मामी भी ना नुकर करके मेरा साथ देने लगी।

मैं पूरे जोश के साथ मामी के होंठों का रसपान करने लगा।

अब मामी भी मस्ती में आने लगी और मेरे होंठों को काटने लगी। मामी की हल्की सी सिसकारियां निकल रही थीं।

मामी के होंठों का रस पीने के बाद मैंने मामीजी के बोबों को पकड़ लिया और ब्लाउज के ऊपर से ही मामीजी के खरबूजे जैसे बोबों को मसलने और चूसने लगा।

वो अब गर्म हो गयी थी; वो मेरा सर उसके बोबों पर दबाने लगी।

मेरा लौड़ा तन चुका था।
मैंने मामीजी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और उनके कबूतरों को आजाद कर दिया।

उनके मोटे मोटे बोबों को देखकर मैं पागल हो गया और जोर जोर से उनको दबाने लगा, मसलने और चूसने लगा।

मामीजी अब मदहोश हो गयी थी।
वो मेरे सर को बोबों पर दबा कर बोली- श्स्स … दबा मेरे शेर.. अपनी मामी के बोबे चूस … दूध पी ले पूरा … मेरे शेर … काट अपने मामीजी के दूध को … आह … आउच … उइ … चूस जा।

मैंने चूचे दबाते हुए बोला- मेरी जान … जरा धीरे बोल … तेरा पति अगर उठ गया ना तो हमारी खैर नहीं।
फिर मामी ने फिर से खिड़की से अंदर झाँका तो मामा अभी भी घोड़े बेच कर सो रहा था।

अब मैंने उनको मेरा लंड चूसने का इशारा किया।
वो भी झट से नीचे बैठ गयी और मेरी पैंट और अंडरवियर नीचे कर दी और मेरे फ़नफनाते हुए नाग को आजाद कर दिया।

उसके बाद मामीजी ने मेरे लंड को हाथ में लिया और हिलाने लगी।

मुझे बहुत ज्यादा आनंद मिल रहा था। मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। मामी का गर्म मुँह मुझे चरमसुख दे रहा था।

अब मैंने मामीजी को उठाया।
उनकी साड़ी निकालने लगा लेकिन वो बोलीं- साड़ी मत निकालो, ऊपर से ही कर लो।

मैं नहीं माना, मुझे उनको नंगी करके ही चोदना था। मैंने मामीजी को पूरी नंगी कर दिया। वो दीवार से सट कर खड़ी थीं।

फिर मैं नीचे बैठ गया और उनकी चूत में उंगली डाल कर उंगली से चूत सहलाने लगा।
मामीजी सिसकारियां निकालने लगी। उनकी चूत भट्टी की तरह गर्म थी।

मैंने उनकी चूत में मेरी जीभ रख दी और चूत चूसने लगा। मामी की चूत पानी छोड़ रही थी; मैं मामी की चूत का खट्टा रस पी गया।

अब मैंने एक बार खिड़की से अंदर झाँका तो मामा अभी भी सोया हुआ था।
मैंने मामी को दीवार को पकड़ कर खड़ा किया और पीछे से मेरा लंड उनकी चूत पर सेट करने की कोशिश करने लगा।

मगर अंधेरे की वजह से मुझे उनकी चूत का छेद मिल नहीं रहा थ। इसलिए मामीजी ने पीछे हाथ करके मेरा लंड उनकी चूत के छेद पर रखा और धक्का मारने के लिए बोला।

मैंने भी एक जोर का झटका लगाया और मेरा पूरा लंड मामी की चूत में समा गया।
वो दर्द के कारण चिल्लाने वाली थी लेकिन मैंने अपना हाथ उनके मुँह पर रख दिया ताकि उसके पति को आवाज ना आये।

वैसे तो खिड़की से बेड काफ़ी दूर था लेकिन फिर भी मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
मैं पूरी ताकत से मामी को खड़े खड़े ही पेल रहा था।
वो भी कमर उठा उठाकर धक्के मार रही थी।

उनके खड़े होने के कारण उनको खिड़की में से मामा दिख रहे थे।
मेरी सेक्सी, गदरायी हुई अधेड़ उम्र की मामी को मैं उनके पति के सामने ही चुपके से चोद रहा था।

इस बात से मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी और मैं पूरी ताकत से मामी की जवानी का आनंद ले रहा था।
मामी भी पति के सामने चुद कर बहुत उत्तेजित हो गयीं थी और आहें भर रही थीं।

उनके मुंह से लगातार मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं- ओह … आह … चोद मेरे राजा … अपनी मामी को जोर से चोद … निकाल दे मेरा पानी … महीने से तड़प रही हूँ तेरा हथियार लेने के लिए … इस चूत की प्यास बुझा दे।

उस वक्त सुबह का सन्नाटा था तो पूरी गली में हमारी फच-फच चुदाई की आवाजें आ रही थीं।
हम दोनों खड़े खड़े चुदाई कर रहे थे।

20 मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद मैं और मामी एक साथ झड़ गए।

मामी का अमृतरस उनकी चूत से निकलकर मेरी जांघों से मेरे पूरे पैर पर टपकने लगा।
मैं खड़े खड़े मेरी सेक्सी वैशाली मामी के ऊपर पड़ा पड़ा हांफ रहा था।
वो भी थक गई थी।

हम दोनों पसीने से सने हुए थे।

थोड़ी देर आराम करने के बाद मामीजी ने मेरा लंड उनकी साड़ी से साफ किया।

मामी और मैं दोनों बहुत संतुष्ट हो गए।

फिर मैंने उनको साड़ी पहनने में मदद की।
मैंने भी कपड़े पहने, फिर मामीजी को एक प्यारी सी लम्बी किस की।

मामी ने खिड़की से देखा तो मामा अभी भी सो रहा था।

मामा को तो भनक भी नहीं थी कि मैंने उसके पीछे ही उसकी पत्नी का उपभोग किया।

मामीजी के बोबों को मैंने एक बार चुटकी काटी उसके बाद मामीजी गली से निकलकर घर की आगे की तरफ चली गयी और मैं भी दूसरी बाजू से बाहर निकल गया।

उस दिन के बाद कई बार हम उसी गली में मिलते रहे।

अब करीबन रोज मैं मामीजी को पीछे वाली शेरी में पेलता हूं। रनिंग के बहाने घर से निकलता हूं लेकिन इधर अलग ही रनिंग करके घर लौटता हूं।

आज भी मामी-भांजा चुदाई का हमारा सिलसिला जारी है।

मामीजी के पीरियड्स के दिन निकाल दें तो बाकी के सारे दिन मामीजी को मैंने जी भरकर पेला है।

वो भी मेरी रखैल बन चुकी है। एक बार वो पति को चुदाई के लिए मना कर देगी लेकिन रोज सुबह मेरा केला खाएगी तो मतलब खाएगी।

मेरे साथ चुदाई करने की वजह से मामी का बदन और ज्यादा गदराया और रसीला हो चुका है।
मैं भी मेरी देसी मामी की जवानी का पूरा आनंद ले रहा हूं।

तो दोस्तो, यह थी मेरे गांव की देसी जवान वैशाली मामी की चुदाई की सत्य घटना।

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