मैंने अपना पहला सेक्स कैसे और किसके साथ किया. यही मैंने इस कहानी में बताया है. मैं किराये के घर में रहता था। मकान वाली भाभी के बूब्स में से दूध रिसता था।
मेरा नाम राजू है। मेरी उम्र 24 साल है और मैं एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हूं। मैं एक साधारण परिवार से हूं। मैंने अपनी पढ़ाई बैंक लोन लेकर की है।
मैं एक साधारण दिखने वाला लड़का हूं और मेरी हाईट 5.5 फीट है।
मेरा लिंग साधारण आकार का है।
यह कहानी बताएगी कि मेरा पहला सेक्स कैसे हुआ? कहानी मेरे और एक भाभी के बीच की है।
मेरा प्लेसमेंट कॉलेज से ही हो गया था इसलिए ज्वाइनिंग में ज्यादा समय नहीं मिला।
मैंने जल्दी ही कंपनी को ज्वाइन कर लिया।
फिर मैंने वहां कुछ लोकल वर्कर से किराये का रूम पूछा तो उन्होंने मेरी मदद की और पास के ही गांव में मुझे एक आदमी के मकान के बारे में बताया।
वो आदमी भी पहले से ही उसी कंपनी में काम करता था जिसमें मैंने ज्वॉइन किया था।
उसके घर में कुल 4 रूम थे तो उसने मुझे एक रूम किराये पर दे दिया।
उस आदमी घर में उसकी पत्नी और उसकी मां रहते थे। उसका एक बच्चा भी था जो बस 1 महीने का था।
भाभी की उम्र करीब 30 साल थी और भैया की करीब 33 साल थी। भाभी एक सामान्य दिखने वाली औरत थी लेकिन बूब्स काफी बड़े थे।
उनकी मां की करीब 55 साल की उम्र थी। कुछ दिन पहले पैर का ऑपरेशन होने की वजह से वो ज्यादा चलती नहीं थी।
शुरू में कंपनी में मुझे बस ट्रेनिंग करवायी जा रही थी तो मैं भी काफी फ्री रहता था।
भैया ने बच्चे के कारण छुट्टी ले रखी थी तो शाम में हम दोनों में बातें होती थीं।
फिर धीरे धीरे हम एक दूसरे से हंसी मजाक भी करने लग गए मगर मैंने कभी भी भाभी से ज्यादा बात नहीं की।
क्योंकि शुरू से मैंने ब्वायज स्कूल में पढ़ाई की। फिर कॉलेज में भी लड़कों के बीच ही रहा था। किसी लड़की से मेरा कभी नाता नहीं रहा इसलिए मैं लड़कियों से बात करने में डरता था।
एक दिन बातों ही बातों में भैया ने मुझे बताया कि उनकी विदेश जाने के लिए बात चल रही है और जैसे ही उनका वीजा लगेगा वो चले जाएंगे।
करीब 15 दिन बाद उनका वीजा लग भी गया और वो नवंबर महीने में चले गए।
तब तक मुझे वहां 3 महीने हो गए थे रहते हुए!
अब कंपनी में काम का प्रेशर धीरे धीरे आने लगा था।
अभी भी मेरी भाभी से बहुत कम बात होती थी।
या यूं कहें कि होती ही नहीं थी।
उनका छोटा बच्चा था और उनकी सास ज्यादा चल नहीं सकती थी तो कोई काम होता था तो वो मुझे बोल देती थी।
टाइम बीता और अब जनवरी शुरू हो गई थी तो शनिवार और रविवार को मैं छत पर धूप लेने के लिए चला जाता था।
वहां पर भाभी और उनकी सास भी होती थी।
मुझे वहां जाने में काफी संकोच होता था क्योंकि भाभी अपने बच्चे को दूध पिलाया करती थी।
मैं चुपचाप घूमता रहता।
अभी तक मैंने भाभी के बारे में गलत नहीं सोचा था और ना ही कभी ऐसा कोई ख्याल आया था क्योंकि मैं कंपनी से थक कर आता और खाना बनाकर-खाकर जल्दी से सो जाता या फिर मोबाइल में बिजी हो जाता।
कभी कभी घर पर भाभी की सहेली आया करती थी जिसका नाम पिंकी था.
वो गोरी सुंदर और सामान्य शरीर की थी।
उनके पति भी विदेश रहते थे और उन्होंने ही भैया का वीजा लगवाया था।
मेरे रूम का एक दरवाजा बाहर था और दूसरा सीधे घर की तरफ था.
तो जब वो आती तो उन लोगों की बातें मुझे साफ़ सुनाई देतीं जिससे मुझे पता चला कि भाभी काफी खुले विचारों की है।
धीरे धीरे समय बीतता गया और कोराना वायरस फैलता गया।
अब मार्च का समय आ गया था तो कंपनी में काफी सावधानी चल रही थी।
आधे कर्मचारियों को एक दिन बुलाया जा रहा था और बाकी आधे दूसरे दिन।
अब मेरा काम भी बढ़ गया था।
मैं कभी कभी 12 घण्टे की ड्यूटी भी करता था।
फिर होते होते कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया और मैं वहीं फंसकर रह गया।
लॉकडॉउन में मैं दिनभर घर में ही रहता क्योंकि मैं वहां किसी और को नहीं जानता था।
मैं ऊपर छत पर छांव देख कर बैठता था और बस बोर होता था या अपना कुछ पढ़ भी लेता था।
अभी तक मैंने बहुत कम पोर्न वीडियो देखे थे मगर खाली समय में मैंने पोर्न देखना भी शुरू कर दिया और अन्तर्वासना पर सेक्स कहानियां पढ़ना भी शुरू कर दिया।
अब मेरे अंदर काफी सेक्स जागने लगा था और मैं काफी उत्तेजित महसूस करता था।
धीरे धीरे हस्तमैथुन की आदत होने लगी।
मैं रोज सेक्स कहानियां पढ़ने लगा और मुठ मारने लगा।
बस अब ऐसे ही मेरे दिन कटने लगे।
एक दिन भाभी ने मेरे से अपनी सास की कुछ दवा लाने के लिए कहा और एक पर्ची मुझे दे दी।
उस वक्त रात हो चुकी थी तो मैंने सुबह जाने का फैसला किया।
मैं लेट गया। मैं उस पर्ची को देखने लगा।
उस पर जो दवाई लिखी थी उसको पढ़कर सोचा कि पता किया जाए किस चीज की दवाई है।
जब मैंने इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला कि वो औरत का दूध कम करने की दवाई थी।
अगले दिन सुबह मैं दवाई लाने गया।
मैंने भाभी को दवा लाकर दे दी।
अब से मेरी नजर उनके दूधों पर ही रहने लगी।
मैं अक्सर उनके ब्लाउज को निप्पलों पर से गीला पाता था।
कुछ दिन बाद भाभी ने फिर से वो दवा मंगवाई।
मैंने केमिस्ट से उसका साइड इफेक्ट पूछा तो पता चला कि उसके खाने से बूब्स में गांठ बन जाती है और फिर वही बाद में कैंसर बन जाता है।
मैं ये सोचकर परेशान हो गया।
फिर ऐसे ही दिन बीतने लगे।
एक दिन मैं छत पर बैठा हुआ पतंग देख रहा था और कुछ दूर एक छत पर एक लड़की थी उसे भी देख रहा था।
तभी भाभी छत पर आई और उनके साथ उनका बच्चा भी था।
उन्होंने अपने बच्चे की मालिश की और दूध पिलाकर सुला दिया।
फिर मेरे से भाभी की ऐसे ही बात होने लग गई।
कभी लाकडाउन तो कभी पॉलिटिक्स, बातों बातों में भाभी मेरे से मेरी लाइफ के बारे में पूछने लग गई।
भाभी- और बताइए … कितनी गर्लफ्रेंड हैं आपकी?
मैं- अरे भाभी, मैं कभी लड़कियों के संपर्क में नहीं रहा। मेरी नहीं बनी एक भी!
भाभी मुस्काते हुए बोली- ऐसा भी है क्या?
मैं- अरे भाभी अब और बेइज्जती मत कीजिए मेरी!
भाभी- अच्छा तभी तुम वो दूर की लड़की के चक्कर में रोज छत पर आते हो, क्यों?
मैं- अरे नहीं भाभी, वो रूम में अकेले बोर हो जाता हूं, इसलिए छत पर आ जाता हूं।
भाभी- अरे मैं सब समझती हूं।
तभी भाभी का बच्चा उठ गया और रोने लगा।
भाभी फिर से उसे सुलाने लगी और मैं धीरे से नीचे आ गया।
फिर पानी पीकर फिर छत पर आ गया।
चूंकि गांव में घर काफी बड़े होते हैं और अलग बगल काफी जगह भी होती है दो घरों के बीच में तो हमारी बात कोई सुन नहीं सकता था।
तो मैंने देखा कि जब उनका बच्चा सो गया तब मैंने उनसे बात की।
मैं- भाभी एक बात पूछूं?
भाभी- हां पूछो।
मैं- भाभी जो आपने मुझसे दवा लाने के लिए बोला था वो किसकी दवा थी?
भाभी- वो मां की थी। मेरा मतलब मेरी सास की दवा थी।
मैं- अरे जो आपने अलग से लिखकर दिया था वो?
भाभी- अच्छा, वो तो मेरी थी, क्यों क्या हुआ?
मैं- जब मैं मेडिकल स्टोर पर गया था तो वो मेरे से बोले कि इसका प्रिस्क्रिप्शन नहीं है क्या? तो मैंने बोल दिया कि वो लॉकडाउन की वजह से पर्चा कहीं और रह गया है, तो उसने मुझसे बोला कि उसको ओवरडोज मत लेना। फिर मैंने बोल दिया कि नहीं … डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन है, तब वो कुछ नहीं बोला।
यह बात मैंने भाभी से झूठ बोली, क्योंकि मैं भाभी से सीधे नहीं पूछ सकता था उस दवा के बारे में!
भाभी- अरे वो मेरी सहेली ने बताया था इस दवा के बारे में, वो मेरा दूध ज्यादा होता है तो उसी को कम करने की दवाई है।
अब भाभी थोड़ी घबराई हुई सी लगने लगी।
मैं- भाभी, मैंने भी इसके बारे से सर्च किया है, और मुझे भी इसके साइडइफेक्ट्स के बारे में पता चला है, तभी आप से पूछा है।
भाभी- कैसा साइडइफेक्ट?
मैं- भाभी अगर आप इसे ओवरडोज में लेती हैं तो ऐसा मत करना। आपके स्तनों में दूध जम जाएगा और फिर वहां गांठ हो जाएगी। ऐसे ही ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है।
भाभी- ओके, मैं आज से ही इसे बंद कर दूंगी, और थैंक्यू … मुझे बताने के लिए।
मैं- अगर आपको दूध ज्यादा हो रहा है तो आप ब्रेस्ट मिल्क पंप मंगवा लीजिए, उससे कोई साइडइफेक्ट नहीं होगा।
भाभी- कहां मिलेगा ये?
मैं- ऑनलाइन मिल जाएगा।
भाभी- ओके, एक मंगवा देना, मैं पैसे दे दूंगी।
मैं- ओके भाभी।
भाभी- मगर प्लीज इस बारे में किसी और से मत कहना।
मैं- अरे नहीं भाभी।
मैंने ऑनलाइन ऑर्डर कर दिया और ये 15 दिन में पंप आ गया, तो मैंने भाभी को वो दे दिया।
कुछ दिन बाद जब भाभी की सास कहीं गई हुई थी तब भाभी ने मुझसे बोला- राजू ये तो सही से काम ही नहीं कर रहा और कभी कभी दर्द भी होता है।
दोस्तो, अब चूंकि मैंने पहले इसे केवल यूट्यूब पर ही देखा था, तो मैंने बोला कि भाभी आप यूट्यूब पर देख लीजिए, सब पता चल जायगा कि कैसे इस्तेमाल करते हैं।
भाभी बोली- ठीक है, मैं देखकर इस्तेमाल करती हूं और फिर तुम्हें बताऊंगी।
थोड़ी देर में भाभी आई और बोली- राजू ये फिर भी सही से काम नहीं कर रहा, कहीं हमें खराब पीस तो नहीं दे दिया?
मैंने बोला- भाभी, हम इसे रिटर्न नहीं कर सकते क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से सभी ऑनलाइन साइट वालों ने रिटर्न पॉलिसी को बदल दिया है।
भाभी बोली- कोई बात नहीं, रहने देते हैं फिर!
तब मैंने बोला- भाभी मैं एक बार चेक कर सकता हूं क्या, अगर आप को कोई प्रॉब्लम ना हो तो?
वो थोड़ा गुस्सा हो गयी और बोली- आप ये क्या बोल रहे हैं, आप जानते हैं न?
इतना बोलकर वो अंदर चली गई।
मैं सोचने लगा कि कहीं भाभी बुरा न मान गई हो और अपनी सास से मेरी शिकायत कर दे। मुझे तो ये घर से निकाल देंगे।
मगर कुछ देर के बाद भाभी मेरे कमरे में आ गई और बोली- ठीक है, तुम मेरे रूम में आकर चेक करके देख लो, नहीं तो मुझे परेशानी हो जाएगी रात को, और ये बात किसी से कहना नहीं।
मैं भाभी के रूम में गया।
वहां पंप रखा था तो मैंने पंप लिया और भाभी से उनके बूब्स बाहर करने को बोला।
भाभी ने अपने बूब्स बाहर किए और उनके बूब्स देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं।
मैं पहली बार सामने से असली बूब्स देख रहा था।
गोरे और बड़े बूब्स देख कर मेरा लन्ड भी तुरंत खड़ा हो गया और मेरी धड़कनें भी तेज हो गईं, ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था।
फिर मैंने पंप लिया और भाभी का निप्पल पकड़ कर पंप के सक्शन के बीच में रख दिया और पंप को दबाना शुरू किया।
मगर मैं भी सही से नहीं कर पा रहा था।
भाभी बोली- देखा … ये सही से काम नहीं कर कर रहा है।
मैंने भाभी से बोला- अब तो हम कुछ नहीं कर सकते।
ये बोलकर मैं अपने रूम में आ गया।
रूम में आकर मैंने बाथरूम में जाकर हस्तमैथुन किया और अपना सारा वीर्य वहां निकाल दिया और छत पर चला गया।
तभी भाभी भी छत पर आ गई।
चूंकि मेरे साथ ये सब पहली बार था इसलिए मैं अभी भी बहुत बेचैन सा था।
वो बोलीं- तुम चिंता मत करो, मैं तुमसे इसके पैसे वापस नहीं मांगूंगी।
मैंने कहा- अरे नहीं भाभी, बस ऐसे ही आ गया मैं तो ऊपर!
भाभी- अरे यार, आज तो वो लड़की भी नहीं आई है.
यह भाभी ने मजाक में बोला!
मैं- अरे भाभी मैं उसके चक्कर में थोड़ी आता हूं यहां!
भाभी- ओह … मैं तो भूल ही गई थी।
तभी उनका बच्चा मेरी गोद में आने लगा और मैंने उसे पकड़ लिया।
मैं उसे लेकर घूमने लगा।
टहलते हुए मैंने पूछा- तो भाभी अब कैसे दूध निकालेंगी?
वो बोली- हाथ से ही करूंगी, मगर थोड़ी देर में हाथ भी दुखने लग जाता है।
मैं- एक बात बोलूं, आप बुरा तो नहीं मानेंगी?
भाभी- अरे नहीं, बोलिए क्या बात है?
मैं- क्यों न मैं ही आपका दूध पीकर निकाल लूं?
वो गुस्से से बोली- दिमाग खराब है आपका? ऐसी उम्मीद नहीं थी आपसे!
वो बच्चे को लेकर नीचे चली गयीं।
उनके ये शब्द सुनकर मैं डर गया और मुझे लगने लगा कि आज मेरा अंतिम दिन न हो इस घर में। अगर इन्होंने यहां से निकाला तो इस लॉकडाउन में कहां जाऊंगा?
बस गलत ही ख्याल आ रहे थे उसके बाद!
रात को मैं बिना खाना खाए ही सो गया और सुबह देर से उठा।
उस दिन मैं छत पर नहीं गया।
अगले दिन भी मैं छत पर नहीं गया।
उस रात को भाभी की सास मेरे रूम में आईं और बोलीं कि बेटा कल कुछ सामान लेते आना और लिस्ट देकर चली गईं।
अगले दिन मैं सामान लेकर आया तो मैंने भाभी को सब सामान दे दिया लेकिन भाभी मेरे साथ बिल्कुल नॉर्मल थीं।
ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो।
अगले दिन मैं छत पर गया तो वहां भाभी और उनकी सास भी थीं और सब सामान्य था।
मैंने अपने मन में कहा कि चलो सब नॉर्मल हो गया, अब आगे से ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिससे कोई मुसीबत खड़ी हो जाए।