भाभी का दूध और लॉकडाउन- 2

मैंने साड़ी वाली भाभी की चुदाई की. वो मेरी मकान मालकिन थी. भाभी को ज्यादा दूध उतरता था. मैंने भाभी की मदद की तो बात हम दोनों का ही दूध निकलने पर खत्म हुई, कैसे?

दोस्तो, कहानी के पिछले भाग
मकानमालकिन भाभी के नंगे स्तन देखे
में आपने देखा कि कैसे मैं किराये के घर में गया जहां एक बड़े बूब्स वाली भाभी मिलीं।
उनसे बात हुई तो पता चला वो चूचियों में दूध के रिसने से परेशान हैं और दवाई खा रही हैं।
मैंने उनको दवाई खाने का नुकसान बताया और दूध खींचने वाला पंप लाकर दिया लेकिन बात नहीं बनी।

अब आगे साड़ी वाली भाभी की चुदाई:

कुछ दिन बाद भाभी और उनकी सास, अपनी सहेली के घर उनके लड़के के जन्मदिन पर गए।
लड़का एक साल का हुआ था।

वो लोग सुबह ही निकल गए।
फिर मुझे भाभी का कॉल आया कि राजू हम आज नहीं आयेंगे तो गेट बंद कर लेना।

मैं रात को गेट बंद करके सो गया।

सुबह भाभी आईं और मुझसे बोली- तुम ये कुछ कपड़े पिंकी के घर दे देना!
मैंने कपड़े लिए और बाइक से देकर आ गया।

फिर शाम को मैं छत पर बैठा था तो भाभी ने नीचे से आवाज लगाई- राजू, जरा नीचे आना।
मैं तुरंत नीचे गया।

भाभी सोफे पर बैठी थी और रेड कलर की साड़ी पहनी थी।

मैंने ध्यान से देखा तो उनका ब्लाउज निप्पल की साइड से भीगा था।
मैं- भाभी क्या हुआ? आप ने बुलाया?
भाभी- हां … लेकिन तुम मुझसे वादा करो कि ये किसी को नहीं बताओगे।

मैं- ओके भाभी, बोलो क्या हुआ?
भाभी- तुम बोल रहे थे ना कि तुम मेरा दूध पी सकते हो?
मैं- लेकिन भाभी …

भाभी रोते हुए- प्लीज …
मैं- भाभी लेकिन इसमें रोने की बात क्या है?

भाभी- हम लोग जब पिंकी के घर गए थे, तो पता चला कि पिंकी की दोस्त सुमन का बच्चा पैदा होते ही मर गया था। उसने भी इसी दवा को इस्तेमाल किया था।

मैं- तो इसमें क्या हुआ? आप रोना बंद कीजिए।
भाभी- तो सुमन को ब्रेस्ट कैंसर हो गया!!
भाभी ये कहते हुए और ज्यादा रोने लगी।

फिर मैंने पास में पड़ा रुमाल लेकर भाभी को दिया और उन्हें चुप होने के लिए बोला।
मैं- भाभी जो होना था, वो तो हो चुका है, अब क्या ही कर सकते हैं?

भाभी- प्लीज आप पियोगे ना?
मैं- ओके भाभी, लेकिन आपकी सास का क्या होगा?
भाभी- वो अगले 2 दिन के लिए वहीं रहेंगी और टाइम टाइम पर वो वहां जाती ही रहती है। बाकी का मैं देख लूंगी।

मैं- ओके भाभी, लेकिन आप किसी से इसके बारे में मत बताना।
भाभी- मैं पागल थोड़ी हूं जो बताऊंगी?
मैं- चलो ठीक है।

फिर मैं अपने रूम में आ गया और पोर्न वीडियो देखकर हिलाने लगा।
मैंने कई मिनट तक मुठ मारी और सारा वीर्य एक कागज पर गिराकर उसे डस्टबिन में फेंक दिया और आराम से सो गया।

फिर भाभी की आवाज से मेरी नींद खुली।
उस टाइम रात के 9 बज रहे थे।

मैं जल्दी से उठा और परेशान होने लगा क्योंकि मैंने कुछ खाना नहीं बनाया था।

उसके बाद मैं मुंह धोकर भाभी के पास गया और पूछा कि क्या हुआ?
भाभी- आज खाना नहीं बनाया है क्या?
मैं- नहीं आज सोता ही रह गया।

भाभी- कोई बात नहीं, परेशान मत हो। मैंने तुम्हारे लिए भी खाना बना लिया है।
मैं- ओह … थैंक्यू भाभी।
भाभी- चलो आ जाओ, खाना खा लो।

फिर मैंने खाना खाया और भाभी अपने रूम में अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी।
जब मैं खाना खाकर उठा तब भाभी बोली- क्यों, तुम भी पियोगे?
मैंने बोला- क्या?

भाभी- दूध।
मैं- ओके भाभी, आता हूं।
भाभी- अब पैकेट का दूध लेना बंद कर दो।
मैं हंसकर बोला- ओके भाभी।

फिर मैं हाथ धोकर भाभी के रूम में गया।
तब तक भाभी का बच्चा भी सो गया था।

भाभी ने उसे साइड में सुला दिया और मुझे अपने बगल में बैठने को कहा।

उन्होंने अपने ब्लाउज को खोला और अपने बूब्स बाहर निकाल लिए। उन्होंने मुझे पीने का इशारा किया और मैंने उनके एक चूचे को मुंह में भर लिया।

उनके मोटे मोटे बूब्स मेरे हाथ में थे और मुलायम से निप्पल मेरे मुंह में थे, मैंने उसे चूसना चालू किया।

मेरे मुंह में भाभी का दूध जाने लगा।

धीरे धीरे भाभी हल्की हल्की सिसकारियां लेने लगी।

मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था और मेरी पैंट में साफ पता चल रहा था।
मगर मैं कर भी क्या सकता था … ये तो खड़ा होना ही था।

दूध का टेस्ट नॉर्मल था। ना ज्यादा मीठा, ना नमक, ना पानी जैसा।
मैंने मजे से चूसा और बीच बीच में बस जीभ से उसे चाटता, जिससे भाभी सिसकारी ले उठती।

कुछ समय बाद भाभी ने अपना दूसरा स्तन मेरे सामने किया, उसको भी मैंने निचोड़ लिया।
बीच में ही मेरे लन्ड ने पानी निकाल दिया।

भाभी भी आंख बंद करके सिसकारियां भरे जा रही थी।

दोनों बूब्स चुसवाने के बाद भाभी ने अपनी ब्रा को बंद किया और ब्लाऊज को भी!
फिर मुझे बोली- आज मैं बहुत सुकून महसूस कर रही हूं और आज से तुम्हारे रूम का किराया माफ! मगर ये किसी को मत बताना।

दोस्तो, मैंने लोन लिया हुआ था और भाभी ने मेरा किराया माफ कर दिया इसलिए मैं बहुत खुश था।
मैं खुशी खुशी अपने रूम में चला गया।

मगर मुझे पूरी रात नीद नहीं आयी। मेरी आंखों के सामने बस भाभी के बूब्स और निप्पल थे।
उस रात मैंने 2 बार हस्तमैथुन किया, फिर जाकर सुबह 4 बजे सोया।

दोपहर को मेरी नींद खुली और मैं ब्रश करके बैठा था कि भाभी आकर बोली- खाना खा लेना, मैंने बना दिया है।
मैंने खाना खाया और अपने रूम में आकर गेम खेलने लगा।

मैं शाम को छत पर गया।
वहां भाभी पहले से थी।

मुझे देख कर भाभी बोली- और कैसा लगा अपनी भाभी का दूध?
मैं- भाभी, बहुत मस्त था।

भाभी- तुम भी बहुत शैतान हो, दूध पीने में भी भाभी से मजे कर रहे हो।
मैं- अरे भाभी, ये तो प्रकृति का नियम है, इसे कौन बदल सकता है।
भाभी- अच्छा … और तुम्हारी सही में अब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी?

मैं- हां, मेरी अब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
भाभी- तभी तो … कल बस दूध पीते पीते ही चले गए।
मैं- कहां चले गए?

भाभी ने बात को टाल दिया और वो चली गयी।

कुछ देर के बाद वो फिर से आई।
मैंने पूछा- दादी कब आएंगी?
वो बोली- वो कल आएंगी, पिंकी के साथ। पिंकी सक्शन पंप लेकर जाएगी। उसको भी दिक्कत हो रही है क्योंकि उसका बच्चा बाहर का दूध ज्यादा पीता है।

तभी मेरा फोन आ गया और मैं बात करने लग गया और अपने रूम में आ गया।

फिर रात हुई और भाभी ने मुझे खाने के लिए बुलाया।
मैं गया और खाना खाया और भाभी के रूम में जाकर कल की तरह ही लेट गया।

भाभी ने आने के बाद अपने पूरे ब्लाऊज को खोल दिया और उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी।
मैं उनके बूब्स पर टूट पड़ा।

उनके बूब्स को भींच भींचकर दूध निकालने लगा।

कुछ ही देर में भाभी सिसकारने लगी।
भाभी ने बोला- बेटा अब तुम भी बड़े हो गए हो, दूध कम पी रहे हो और मजे ज्यादा कर रहे हो।

इस पर मैंने भाभी की ओर देखकर स्माइल किया।
भाभी ने भी स्माइल पास किया।

मैं समझ गया था कि भाभी अब पूरी तरह से गर्म हो गई है और अगर मैं इन्हें चोद भी दूं तो ये कुछ नहीं बोलेंगी।

मगर मैं रिस्क नहीं लेना चाहता था। मैं चाहता था कि भाभी खुद मेरे लन्ड को ले।

इसलिए मैं बूब्स मुंह में लेकर जीभ निप्पलों के चारों ओर घुमा रहा था और दूसरा बोबा हाथ में लेकर उसके निप्पल पर उंगली फेर रहा था।
ऐसा करने से उनके दूसरे बूब्स से भी दूध निकल जाता था।

इससे भाभी पूरी तरह हिल जाती थी। ऐसा करते हुए मेरा माल पहले ही निकल गया था और ये सब भाभी को पता चल गया था।

फिर जब पहले बूब्स का दूध खत्म हो गया तो मैं दूसरे पर टूट पड़ा और पहले को हाथ में लेकर उंगली फेरने लगा।

अब भाभी से रहा नहीं जा रहा था तो उन्होंने मेरे से बात करना शुरू कर दिया और बोली- बस इतनी जल्दी तुम्हारा निकल गया?

मैंने बोला- भाभी, मैंने इससे पहले ऐसा कभी नहीं किया इसलिए!
तब भाभी भी हंसने लगीं और बोलीं- मुझे दिखाओ, मैं इसका कुछ इलाज करती हूं। तुम मेरा इलाज करो और मैं तुम्हारा!

तो मैंने कहा- खुद ही देख लो।
फिर उन्होंने मेरी पैंट से मेरा लन्ड निकाल लिया।

वो पूरी तरह से तना हुआ था और उस पर वीर्य लगा हुआ था।

उन्होंने उसे हाथ में लिया और कहा- सही बना रखा है इसे!
मैं अब भी भाभी के दूध पी रहा था और मेरी सांसें बहुत तेज हो गई थीं।

भाभी बोली- रुको।
मैं रुका तो वो मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगीं।
जैसे ही उन्होंने उसे चूसना शुरू किया तो मेरा पानी दोबारा से निकल गया।

इस पर भाभी हंसने लगी और बोली- बेटा, तुम शिलाजीत खाओ।
फिर बोली- मजाक कर रही हूं … पहली बार में सबके साथ होता है।

मैंने भाभी से पूछा- भाभी मेरा साइज छोटा है क्या?
तो उन्होंने बोला- नहीं तो, सबका साइज लगभग इतना ही होता है और सभी को लगता है कि वो छोटा है।

वैसे बता दूं कि मेरा लन्ड नॉर्मल साइज का है। 5-6 इंच के करीब और उसके अनुसार ही मोटा है।

भाभी मजे में लंड चूस रही थी।

मैंने भी देर न करते हुए भाभी की साड़ी को उठाया और उनकी पैंटी में हाथ दे दिया। उनकी पैन्टी पूरी तरह से गीली थी।

ये मेरा पहला अनुभव था तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं।
मैंने एक उंगली को उनकी चूत में घुसा दिया।

इस पर वो एकदम से हिल गई लेकिन कुछ नहीं बोलीं।
मैं समझ गया कि आज तो मेरे लन्ड की मौज है।

उंगली देने के कुछ टाइम में ही भाभी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
उन्होंने मुझे कस कर भींच लिया।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- मेरा भी तो निकलता है, जैसे तुम्हारा निकला।
फिर उन्होंने मुझे एक गोली दी।

हमने एक दूसरे को पूरी तरह नंगा किया और एक दूसरे पर टूट पड़े।

अब हम 69 की पोजीशन में थे।
मैंने पहले ही भाभी को गर्म कर दिया था।
इससे उनकी चूत पूरी गीली हो गई थी।

भाभी ने अब मुझे अपनी चूत चाटने के लिए कहा।

पहले मुझे थोड़ा अजीब लगा और गंदा सा काम लगा लेकिन जब भाभी ने सिसकारियां लेना शुरू किया तो मैं भी तेजी से उनकी चूत को चाटने लगा।

दोनों को खूब मजे आ रहे थे।

फिर भाभी ने अंत में बोल ही दिया- अब और नहीं रहा जाता, प्लीज मुझे चोदो।

यह सुन कर मैं बहुत खुश हुआ और अपने लंड को भाभी की चूत के पास ले जाकर उस पर रगड़ने लगा।

तभी भाभी ने मुझे रोका और कॉन्डम निकाल कर मेरे लन्ड पर चढ़ा दिया।

मैंने फिर से रगड़ना चालू किया और चूत पर लन्ड रखकर एक धक्का लगाया।
मगर वो सरक गया।
फिर दूसरी बार भी सरक गया।

इस पर भाभी हंसने लगी और बोली- बेटा, तुमसे ना हो पाएगा।

फिर उन्होंने मेरा लन्ड पकड़कर अपनी चूत के मुंह पर रखा और उसे थोड़ा सा अन्दर करके बोली- अन्दर डालो।
मैंने भी एक धक्का लगाया तो लन्ड आधा अंदर चला गया और भाभी की चीख निकल गई।

उन्होंने मुझे रुकने को बोला।
मैंने बोला- भाभी, आपको तो बच्चा भी हो चुका है, फिर भी दर्द?

तो भाभी बोली- बच्चा ऑपरेशन से हुआ था और तब से मैंने सेक्स नहीं किया इसलिए चूत टाइट हो गई है।

बातों ही बातों में मैंने एक और धक्का दिया और पूरा लन्ड भाभी की चूत में दे दिया।
भाभी की चीख निकली, फिर भी उन्होंने बोला- अब शुरू हो जाओ, अब से तुम कुंवारे नहीं रहे।

मैंने धक्के पर धक्के मारना शुरू किया।
भाभी बड़े मज़े से सिसकारियां ले रही थी।

फिर हमने पोजीशन बदली और डॉगी स्टाइल में आ गए।
भाभी को इसमें बहुत मज़े आ रहे थे।

मुझे भाभी के लटकते बूब्स बहुत मस्त लग रहे थे जो आगे पीछे झूल रहे थे।
फिर कुछ ही देर में भाभी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया।

मगर मैं नहीं झड़ा था क्योंकि मैंने गोली खा रखी थी।

भाभी पूरी तरह से मजे ले रही थी। अब तक वो 2 बार झड़ चुकी थी।

फिर हम फ्रंट पोजिशन में आ गए। इसमें मुझे बहुत दिक्कत हो रही थी।

मेरा लन्ड पूरी तरह से टाईट था। भाभी ने मुझे गले से लगाया और अपने बूब्स को मेरे सीने से लगाया।
वो खुद ही धक्के देने लगी।
मुझे बहुत मजा आया।

मैंने उनके होंठों पर अपने होंठों को रखा और उसे चूसने लगा।

भाभी भी अब मेरे होंठ चूसने लगी थी।
बहुत मजा आ रहा था।

अब धीरे धीरे मैं थकने लगा था।
जब उसने देखा कि मैं थक रहा हूं तो बोली- तुम लेट जाओ, मैं करती हूं अब!

मैं लेट गया और भाभी मेरे ऊपर आ गई।
वो खुद ही लण्ड को चूत में लेकर हिलने लगीं और मैं उनके बूब्स पकड़ कर उनमें से दूध निचोड़ने लगा।

भाभी अब मस्त आह्ह … ओह्ह … आ्हह … की आवाज करते हुए चुद रही थी।

कुछ देर बाद मेरा भी निकलने को हो गया तो मैंने उनको बता दिया।
वो बोली- कोई बात नहीं, कंडोम लगा हुआ है, छूटने दो।

इतने में ही मेरा निकलने लगा।
मैंने भाभी को जोर से पकड़ा और सारा वीर्य निकाल दिया।
इसके बाद मेरा लन्ड ढीला पड़ने लग गया।

भाभी अब भी हिले जा रही थी क्योंकि वो भी अब डिस्चार्ज होने वाली थी लेकिन तब तक मेरा लन्ड ढीला हो गया था तो उन्होंने मुझे अपनी चूत चाटने को बोला।

मैंने चूत में दो उंगली डाल दी और चूत के ऊपर के भाग को चाटने लगा। दो मिनट बाद भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया।
हम दोनों चिपक कर लेटे रहे।

मुझे नींद आने लगी थी।

फिर मैंने उनको बगल में लेटाया और उनके बूब्स चूसने लगा। चूसकर मैंने उनको फिर से खाली किया और अपने रूम में जाने लगा।

भाभी ने मुझे वहीं सोने के लिए कहा।
मैं नंगा ही उनके बेड पर सो गया।

सुबह भाभी ने मुझे जगाया कि तुम अब अपने रूम में चले जाओ क्योंकि अब तुम्हारी दादी आने वाली है।

मैं जल्दी से उठा, कपड़े पहने और अपने रूम में चला गया।
जाते ही मैं सो गया और फिर दोपहर के 1 बजे उठा।

फिर उनकी सास और उनकी दोस्त पिंकी भाभी भी आ गयीं।

भाभी और उनकी सहेली खूब हंस कर बातें कर रही थीं।

कुछ समय बाद पिंकी चली गई और मिल्क सक्शन पंप भी ले गई।

शाम को जब मैं छत पर गया तब भाभी के ब्लाऊज पर मेरी नजर गई।
अब वो गीला नहीं था।

मैंने अकेले में भाभी से पूछा- अब गीले नहीं हो रहे हैं आपके बूब्स?
वो बोली- लगता है तुम बहुत दिनों से मेरे ब्लाउज को देख रहे थे। मुझे शक तो हुआ था लेकिन सोच रही थी कि मेरा वहम होगा इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा।

इतना बोलकर वो मुस्कराते हुए वहां से चली गई।
अब जब भी उनकी सास कहीं जाती तो बस हमारा शुरू हो जाता था।

लॉकडाउन बढ़ता गया और हमारी मौज होती रही। मैंने न जाने कितनी बार भाभी की चुदाई की।

तो दोस्तो, ये थी साड़ी वाली भाभी की चुदाई की कहानी।
मैंने पिंकी भाभी की भी चुदाई की लेकिन उसकी कहानी आपको अगली कहानी में बताऊंगा।

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