लॉकडाउन में बुआ की बेटी की चुत का मजा

मैंने अपनी हॉट बहन को चोदा लॉकडाउन में! वो मेरी बुआ की बेटी है. वो मेरे चाचा के घर आयी थी कुछ दिन के लिए. मैं भी वहीं था. ये सब हुआ कैसे?

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है. मैं पुणे का रहने वाला हूं.

आज की सेक्स कहानी ज्यादा दिन पुरानी नहीं है. बस अभी अभी मेरे साथ हुई सच्ची घटना पर आधारित एक मस्त कहानी है.

दोस्तो, आप सभी ने कोरोना की वजह से काफी कुछ सहा होगा. मैंने भी सहा है.
इतने महीनों तक घर मैं रहना किस को पसंद है. फिर भी जिंदगी में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो अच्छे के लिए होती हैं.

दरअसल ये सेक्स कहानी, जिसमें मैंने हॉट बहन को चोदा, लॉक डाउन के पहले शुरू हुई थी.

मैं पुणे में अपने चाचा चाची और उनकी बेटी के साथ रहता हूं. मेरी चाची का नाम गायत्री है. चाचा का नाम महेश है और उनकी बेटी का नाम श्वेता है.

अच्छी खासी जिंदगी चल रही थी. ऑफिस शुरू था तो रोज आना जाना लगा रहता था. मैं अपनी चाची को चोद चुका हूँ.
और उनकी बेटी को भी चोद कर मजा लेता था.

चाची और उनकी बेटी को मालूम था कि मैं उन दोनों को चोदता हूँ मगर उन दोनों को इससे कोई दिक्कत नहीं थी.

एक दिन मेरी बुआ का मुझे कॉल आया. वो मेरे पापा की चचेरी बहन हैं.
उन्होंने मुझे कॉल किया और पहले तो मेरा हाल चाल पूछा.

बाद में बताया कि उन्होंने कॉल इसलिए किया है क्योंकि उनकी लड़की पुणे आ रही थी. उसका नाम स्नेहा था. वो मेरी ही उम्र की थी. अभी अभी उसकी पढ़ाई खत्म हुई थो. वो भोपाल से पुणे आ रही थी.

उसके आने की खबर सुनकर मैं काफी खुश था. मेरी और स्नेहा की काफी जमती थी. हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बचपन में काफी टाइम गुजारा था.
वो मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखती थी. उसकी हर निजी बात मुझे मालूम थी.

इतना सब होने के बाद भी स्नेहा ने इस बारे में मुझे कुछ नहीं बताया था.
ये जानकर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा. फिर मैंने उतना ध्यान नहीं दिया कि कुछ याद न रहा होगा या कोई और बात रही होगी.

उस दिन शाम के करीब 8 बज चुके थे. मैं ऑफिस से घर पर आ गया था. मुझे बहुत जोरों की भूख लगी थी.
मैंने अपने चचेरी बहन, जिसका नाम श्वेता है को आवाज लगाई और खाना लगाने को कहा.
वो आज बहुत नाराज सी दिख रही थी.

मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो कल से एक हफ्ते के लिए अपनी नानी के घर जा रही है.
उसकी नानी का घर पुणे से करीब 20 घंटे की दूरी पर था.

उसके मुँह से ये सुन कर मुझे भी बुरा लगा. जैसा कि मैंने आपको बताया है कि हमारे बीच चुदाई के रिश्ते थे. मैं और श्वेता हफ्ते में दो तीन बार सेक्स कर लेते थे.
पर इस बार उसे चोदे मुझे एक हफ्ता हो गया था. ऑफिस के काम कारण मैं बहुत थक हार कर घर आता और सो जाता था.
श्वेता अपनी चुत में उंगली करके रह जाती थी.
पर आज जब मेरा काम खत्म हो गया तो श्वेता जा रही थी.

हम दोनों ने साथ में खाना खाया. खाने के बाद मैं अपनी चाची से कहकर श्वेता के संग रूम में चला गया.

कमरे के अन्दर जाते ही श्वेता ने मुझे कस कर पकड़ लिया. एक लम्बा किस दिया और बाथरूम में चली गई.
तब तक मैंने टी-शर्ट उतारी और बेड पर बैठ गया.

थोड़ी देर बाद वो बाहर आई, तो मैंने देखा कि श्वेता ने ब्लैक कलर की हनीमून नाइटी पहन रखी थी.
उसकी इस नाइटी में मम्मों के पास जालीदार नेट लगी थी और बस इतनी लम्बी थी कि ये नाइटी उसकी चूत को ढकने में असमर्थ थी.

मैंने देखा कि उसने अपनी चूत को शेव किया था. उसकी गुलाबी चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी. उसकी चुत का लाल दाना चूत के बाहर झांक रहा था.

उसे इस तरह से मैं झट से पूरा नंगा हो गया. मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया. फिर एकदम झटसे उसके पैरों को चौड़ा करके मैंने उसके अन्दर लंड पेल दिया.
लंड सरसराता हुआ चुत में अन्दर तक चला गया.

वो काफी गर्म हो चुकी थी, इसलिए उसकी चुत एकदम रसीली पड़ी थी. लंड घुसते ही उसकी आहें निकलने लगीं और उसे बहुत मजा आने लगा.
उसने झट से नाइटी उतार कर फेंकी और अपने मम्मे मेरे लिए खोल दिए.

मैं कुछ समझ पाता कि उसने मेरे सर को अपनी तरफ खींचा और अपने निप्पल मेरे होंठों से लगा दिए.
उसके निप्पल को चूसते हुए मैं उसे चोदने में लगा था. वो बड़े उत्साह के साथ मेरे लंड पर जोर जोर से गांड उछाल रही थी.

देखते ही देखते उसने मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया था. आज से पहले मुझे श्वेता के साथ इतना मज़ा कभी नहीं आया था. उस रात श्वेता ने पूरी रात करीब 4 बार मेरा पानी निकाला. वो अब खुश थी.

दूसरे दिन वो अपने नानी घर चली गई.

दो दिन बाद स्नेहा घर आ गई.
उस दिन संडे था तो मैं घर पर ही था.

आते ही उसने मुझे अपने गले से लगा लिया. वो मुझसे मिल कर काफी खुश थी.

रात का समय था, हम दोनों खाना खा चुके थे. बातों ही बातों में उसने मुझे बताया कि उसको देखने एक लड़का आने वाला है.
उसके मुँह से ये सुनकर मैं चौंक गया क्योंकि उसका तो पहले से एक बॉयफ्रेंड था, और वो उससे चुद भी चुकी थी. पर फिर भी उसने मुझे इस बारे में नहीं बताया था, ये मेरे लिए थोड़ा असहज करने वाला मामला था.

मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसके बीएफ ने उसके साथ शादी करने से इंकार कर दिया. उसकी कुछ फैमिली प्रॉब्लम थी.
ये बताते वक्त वो काफी उदास हो गई थी. मुझे भी बुरा लग रहा था, पर क्या कर सकता था.

दूसरे दिन लड़के वाले हमारे घर आ गए और उन्होंने स्नेहा को पसंद भी कर लिया. स्नेहा सबके सामने खुश थी, पर मुझे पता था उसके दिल पर क्या बीत रही थी.

लड़के वाले चले गए और दो ही दिन बाद लॉकडाउन का ऐलान हो गया.

आज पूरे 10 दिन हो गए थे. हम घर पर ही थे. श्वेता उसकी नानी के घर अटक गई थी. चाचा और स्नेहा के घर पर होने के कारण मैं चाची संग कुछ नहीं कर पा रहा था.
बैठे बैठे मेरे दिमाग में सिर्फ सेक्स के विचार घूम रहे थे. हर वक्त मेरा लंड चुदाई करने को बेताब हो रहा था.

मैं किचन में जाता तो चाची मौका देख कर मेरा लंड सहला देतीं. फिर मैं बाथरूम में जाकर लंड हिला कर उसका पानी निकाल लेता.

स्नेहा और चाचा घर में होने की वजह से खतरा बहुत था.

शाम को खाना खाने के बाद मैं और स्नेहा रूम में बैठे बात कर रहे थे.
स्नेहा का फोन आ गया, तो वो फोन पर बात करने लगी थी.
और मैं पोर्न क्लिप देख रहा था.

अचानक मुझे रोने की आवाज सुनाई देने लगी, तो मेरा ध्यान स्नेहा की ओर गया. वो अपने आंसू मुझसे छुपा रही थी. मैं उसके पास बैठ गया और उसे समझाने की कोशिश करने लगा था.

उसे अपने बीएफ की याद आ रही थी. मैंने काफी देर तक उसको समझाया.
थोड़ी देर मैं वो से गई. मुझे स्नेहा काफी अच्छी लगती थी, मैं उसकी काफी केयर भी करता था.
मैंने उठकर लाइट बंद कर दी और पोर्न देखने बैठ गया.

रात के करीब 12 बज चुके थे. पोर्न देखने की वजह से मेरा लंड काफी सख्त हो गया था. उसे हिला कर शांत करने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं था.
रूम में काफी अंधेरा था, इस लिए मैंने अपना लंड अपने लोवर से बाहर निकाला और उसे हिलाने लगा.

चाची और श्वेता को याद कर मैं अपना लंड सहला रहा था. थोड़ी ही देर में मेरा पानी निकल गया. मैं अपना लंड पकड़ कर वैसे ही बाथरूम में चला गया.

मेरे लंड से पानी तो निकल गया था, पर वो सख्त अभी भी था. मैं वापिस रूम में आया और रूम की लाइट जला दी.
स्नेहा दूसरे बेड पर सो रही थी.

वो कुछ पटियाला टाइप की लोअर पहनी हुई थी और ऊपर एक टी-शर्ट थी, जो काफी ऊपर सरक चुकी थी.
इस वजह से मुझे नीचे से ऊपर की ओर देखने से उसकी पीठ साफ़ दिख रही थी.

उसकी पैंटी का ऊपर का हिस्सा भी दिख रहा था. वो सब देख कर मेरा बहुत बुरा हाल था.

मैंने 10-12 दिन से सेक्स नहीं किया था. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने कभी स्नेहा के बारे में ये नहीं सोचा था.
तो मैंने एक चादर ले ली ताकि वो जाग भी जाए तो उसे कहूंगा कि मैं उसे चादर ओढ़ा रहा था.

मैं उसके पास चला गया. वो बड़ी गहरी नींद में थी. रो रो कर वो थक चुकी थी.

मैंने उसकी टी-शर्ट पीछे से नीचे करने के लिए उसकी टी-शर्ट को पकड़ा. टी-शर्ट के साथ मुझे उसकी ब्रा का हुक भी हाथ में लग गया. टी-शर्ट को नीचे करने की बजाए मैंने थोड़ा सा ऊपर की ओर सरका दिया. इस वजह से मुझे अब उसकी ब्रा के हुक पूरी तरह से दिख रहे थे.
मेरी तो जान निकल रही थी.

मैंने एक तरकीब निकाली. रूम की लाइट बंद करके मैंने छोटा वाला बल्ब जला दिया जिसके कारण मैं उसके पास जाकर उसे अच्छे से देख सकूं.

अब मैं स्नेहा के पीछे जाकर लेट गया. कुछ पल रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे हाथ चलाना शुरू किए.

धीरे से उसकी टी-शर्ट उठा कर ब्रा का एक हुक निकाला. फिर रुका और दो मिनट बाद दूसरा भी हुक निकाल दिया.
उसके ब्रा की साइज करीब 34-डी साइज़ की होगी. मतलब उसके स्तन बहुत भरे हुए थे.
साली ने अपने ब्वॉयफ्रेंड से चुदाई के समय अपने मम्मे खूब मिंजवाए होंगे.

फिर धीरे से मैं अपना हाथ आगे की तरफ ले गया और धीरे धीरे उसकी एक चूची को सहलाने लगा.
मुझे काफी मजा आ रहा था. उसके बड़े स्तन दबाने से मैं तो जन्नत में विचरने लगा था.

अभी तक उसने कुछ विरोध नहीं किया था.

अब मुझे उसकी चूत देखने की इच्छा हो रही थी. मैंने धीरे से उसकी पटियाला पैंट पीछे से नीचे खिसका दी.
अन्दर उसने फूलों के प्रिंट वाली जालीदार पैंटी पहनी थी. जो उसके गोरे बदन की काफी सेक्सी लग रही थी.

इतने में वो पलट गई.
मैं आंख बंद करके सोने का नाटक कर रहा था.
उसने पास पड़ी हुई चादर ओढ़ ली और सो गई.

फिर मेरी भी आंख लग गई.

दूसरे दिन सुबह मेरी आंख देरी से खुली. पर अभी भी स्नेहा मेरे बाजू में सोई हुई थी. मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही चैक किया, तो उसकी ब्रा का हुक लगा हुआ था.

मैं ये देख कर बहुत डर गया था. पर उस दिन उसने मुझे कुछ नहीं कहा.

दो दिन ऐसे ही चलता रहा. मैं रोज उसकी ब्रा खोल देता, थोड़ी देर उसके गोल गोल गुब्बारों को सहलाता और सो जाता.

फिर एक दिन सुबह सुबह बाहर बारिश हो रही थी, इसी लिए मैंने बाहर सुखाए हुए सभी कपड़े अपने रूम में ला रखे थे.
इतने मैं स्नेहा नहा कर मेरे कमरे में आई और अपने कपड़े खोजने लगी.
उसे ब्रा तो मिल गई थी, पर पैंटी नहीं मिल पा रही थी.

मैं बगल मैं ही बैठा था, तो उसने मुझसे पूछा- अरे राहुल, तुमने मेरी पैंटी देखी क्या?
मैंने कहा- मुझे क्या पता?
वो बोली- अरे वो जो मैंने परसों के दिन पहनी थी ब्लू कलर की. जिसके आगे की तरफ से जाली है. तुमको कैसे नहीं पता.

तभी उस पैंटी मिल गई. उसने मुझे वो दिखाई और बोली- ये देखो, ये वाली … बाद में मत बोलना मुझे क्या पता.
ये कह कर वो गांड हिलाती हुई वहां से चली गई.

पांच मिनट बाद वो फिर से मेरे कमरे में आई, अभी भी उसने तौलिया ही लपेटा था.
वो बोली- राहुल एक चीज तो मैं तुम्हें दिखाना भूल ही गई … ये देखो!

ये कहकर उसने अपना तौलिया हटा दिया और अपनी ब्रा मुझे दिखाने लगी.
फिर बोली- ये ब्रा भी याद रखना.

ऐसा कह कर तौलिया लपेट कर वहां से चली गई.

मैं उसके इस एक्शन से काफी हैरान था कि वो ये सब क्यों कर रही है.

इस बीच उसकी चूचियां देख कर मेरा लंड सख्त हो गया था. मैंने वहीं पर अपना लंड निकाल कर उसे हिलाना शुरू किया और लंड का पानी निकाल कर लंड को अपने रूमाल से साफ कर दिया.

मेरा आज स्नेहा की तरफ देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल चुका था.
शाम का समय था, वो मेरे कमरे में आई. हम दोनों बैठ गए और बातें करने लगे थे.

वो मुझसे कहने लगी- राहुल … यार मैं उसे अभी भी बहुत याद करती हूं. तुम मेरे बहुत अच्छे भाई हो, तुम मुझे समझ सकते हो. इसी लिए मैं तुम्हारे साथ इतना ओपनली बात करती हूं. आजकल मुझे रात को नींद ही नहीं आती. मुझे बार बार ऐसा लगता है कि वो मेरे साथ आकर सोया है, मुझे सहला रहा है. हम दोनों कई बार रात में अकेले घूमने जाया करते थे. वो जब मेरे साथ सोता था तो अक्सर मेरी ब्रा का हुक खोल देता था.

स्नेहा के मुँह से ये सब सुन कर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूं.

आगे वो फिर कहने लगी- आजकल मैं रात में सपने में अपनी ही ब्रा का हुक खोल देती हूं और मुझे पता भी नहीं चलता. शायद ये उसकी याद के कारण हो रहा है.

इतना कह कर वो रोने लगी. वो गिरने को हुई, तो मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसे शांत करने लगा.

स्नेहा मुझसे पूरी तरह से चिपक गई थी. जिस कारण उसके मम्मे मेरी छाती से लग रहे थे. थोड़ी देर में वो मुझसे दूर हो गई और सो गई.

आज की बातें सुन कर मुझे इतना तो यकीन हो गया था कि मैं अगर कुछ करूं भी, तो ये मुझे कुछ नहीं कहेगी.

मैं अब रात गहराने का इंतजार कर रहा था.

रात के करीब 12:30 बज रहे थे. रोज की तरह मैं आज भी स्नेहा की ओर बढ़ गया.
उसकी टी-शर्ट ऊपर करके मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए. उसे धीरे धीरे सीधा कर उसका टी-शर्ट को आगे की तरफ से भी उठा लिया.
हल्के से ब्रा को ऊपर को करके, मैंने उसकी एक चूची को किस किया.

उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. तो हिम्मत जुटा कर मैंने उसकी पैंट पूरी निकालने का फैसला लिया और उसके पैरों के पास बैठ कर उसकी पैंट दोनों तरफ से पकड़ कर धीरे धीरे घुटनों तक कर ली.

अन्दर उसकी जालीदार ब्लू पैंटी थी, बहुत ही अच्छी दिख रही थी.
मैंने धीरे धीरे कर उसकी पूरी पैंट निकाल दी. पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत का आकार दिख रहा था.
मैं उसकी चुत को देखने को काफी उत्सुक था.

अब मैंने उसकी टी-शर्ट को भी निकाल दिया था. अब वो सिर्फ मेरे आगे पैंटी में थी.

मैंने ऊपर से पूरी तरह से नंगी स्नेहा को देखने का कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
उसके भूरे निप्पल को देख कर मुझे रहा न गया. मैं किसी छोटे बच्चे के जैसे उसके निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा.

पर साथ मैं ये भी ध्यान दे रहा था कि उसकी नींद ना खुल जाए.
एक निप्पल को चूसते हुए मैं उसके दूसरे मम्मे को भी सहला रहा था.

अब तक मैंने अपनी टी-शर्ट को भी उतार दिया था.

करीब 20 मिनट तक उसके मम्मे चूसने के बाद मैं स्नेहा की साइड में हो गया और उसकी पैंटी उसके बदन से अलग कर दी.

उसकी चूत अलग सी महक बरसा रही थी. मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया और दोनों टांगों के बीच बैठ गया.
मैंने धीरे से उसकी चूत को अपनी उंगली से सहलाया.
अब मैं अपने आपको नहीं रोक पा रहा था. मैंने सीधे ही उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और धीरे धीरे उसकी चुत चाटने लगा.

स्नेहा आह भरने लगी थी, मुझे लगा अब वो जाग गई होगी. पर गौर से सुनने के बाद पता चला कि वो अपने बीएफ का नाम ले रही थी.
वो अभी भी अपने सपने में ही थी.

मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैंने वक्त जाया न करते फैसला ले लिया. मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया. एक छोटा सा धक्का मारा तो मेरा आधा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया.
वो जोर से चिल्लाई. पर उसकी आंखें अभी तक बंद थीं.

मैंने एक और धक्का देकर अपना 7 इंच लम्बा लंड उसकी चूत में पेल दिया. लंड चुत को फाड़ता हुआ अन्दर तक चला गया.

अब उसकी आंखों से पानी आने लगा था.
मैंने उसे रिलैक्स होने दिया.

कुछ पल बाद मैं धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा. मेरा लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर हो रहा था. उसका बदन पूरा का पूरा हिल रहा था.

तभी मुझे उसकी चूत की गर्मी का अहसास होने लगा था. उसकी चूत काफी कसी हुई थी. मैं अब अपनी स्पीड बढ़ा रहा था.
स्नेहा आह आह आह कर रही थी.

मुझे बहुत मजा आने लगा था. मैंने उसके दोनों पैरों को पकड़ कर लंड ज्यादा से ज्यादा अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था.

मैं अब झड़ने वाला था. दिल तो कर रहा था कि उसकी चूत में ही पानी छोड़ दूं.
पर कुछ हो न जाए इस डर से मैंने लंड बाहर निकाल दिया और अपने हाथ में पकड़ कर झड़ गया.

फिर बाथरूम में जाकर मैंने सब धो लिया. मैं रूम में आ गया. स्नेहा अभी तक उसी हालत में सोई हुई थी.
मैं उसके बाजू लेट गया और उसका एक पैर मेरे ऊपर ले लिया, जिससे मेरा लंड उसके चूत को टच कर रहा था.

कुछ आधे घंटे बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने फिर से स्नेहा को चोदना शुरू कर दिया. इस बार में बिना किसी डर के उसे चोदे जा रहा था.

करीब 10 मिनट बाद उसकी चूत पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी.
मैं जैसे जैसे धक्के मारता तो पच पच करके आवाज आती.

मैं अब स्नेहा को चोदते चोदते उसके बदन पर लेट गया था. वो मुझे टाइट पकड़ कर चुदवा रही थी. उसके नाखून मुझे चुभ रहे थे. मैं उसके मम्मे चूस रहा था और साथ ही साथ उसे जोर जोर से चोद भी रहा था.

कुछ देर बाद मेरा पानी निकालने ही वाला था, मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया. उसने झट से उठ कर लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और चूस कर सारा पानी पी गई. फिर चाट चाट कर मेरा लंड साफ भी कर दिया.

तब से 3 महीनों तक लगातार मैंने अपनी हॉट बहन को चोदा.

अभी 2 दिन पहले वो वापिस अपने शहर भोपाल चली गई. उसे जाने का बिल्कुल दिल नहीं था, पर जाना पड़ा.

जिस दिन स्नेहा चली गई .. उस दिन से चाचा का काम-काज कुछ हद तक शुरू हो गया था. इसलिए 2 दिन से दिन के समय मैं चाची के साथ सोफे पर नंगा ही लेटा रहता हूं. चाची तीन महीने की बची हुई चुदाई पूरी करवा रही हैं.

श्वेता भी एक दो दिन मैं आ जाएगी. तब उसको चाची के साथ एक बिस्तर पर रगड़ कर मजा लूंगा.

स्नेहा ने भी जाते समय उसके लिए अपनी पैंटी और ब्रा रखी है ताकि वो पहने तो मुझे स्नेहा का अहसास हो.

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