दोस्तो, मेरा नाम प्रिया है. मेरी शादी को पांच साल हो चुके हैं.
मैं दिखने में एकदम ऐसी मदमस्त माल हूँ कि लोगों की आहें निकल जाती हैं.
मेरी फिगर 34-28-36 की है. मैं ब्रा 32D की पहनती हूँ, ताकि मेरे मम्मे एकदम टाईट दिखे और उभरे हुए दिखें.
मेरे बाल काफी लम्बे हैं और मेरी कमर तक आते हैं.
शादी के समय से ही मेरे जेठ जी मुझ पर फिदा हो गए थे, क्योंकि शादी की रिसेप्शन पार्टी के समय से वो मेरे आगे पीछे कुछ ज्यादा ही मंडरा रहे थे.
मैं उसी वक्त से उनकी नजर परख चुकी थी. शादी से पहले मैं भी अपने यार का लंड लेती रही हूँ, तो मुझे उनकी कामुक नजरों को ताड़ने में एक पल भी नहीं लगा.
शादी के बाद मैं अपने पति के घर आ गई. मेरे पति के हथियार में दम नहीं था. वो मुझे ठीक से शांत नहीं कर पाते थे इसीलिए मेरा उनसे चुदने में मन नहीं लगता था.
साथ ही चुदाई करते समय ही मुझे समझ आ गया था कि इनसे कुछ नहीं होने वाला है, मुझे जेठ जी से ही टांका फिट करवाना पड़ेगा.
मेरे पति अपने बड़े भाई से अलग रहते थे. मेरे जेठ जी का घर हमारे घर के पास ही था. वो जब भी हमारे घर आते, तो हमेशा अपनी हॉट बहू की जवानी पर अपनी नज़र बनाए रखते और मुझे ताड़ते रहते.
अब मैं भी अपनी जवानी के जलवे उनके सामने दिखा कर उनके मजे लेने लगी थी.
हमारी कभी ज्यादा बातचीत नहीं होती थी, पर जब भी हम दोनों की नज़रें मिलतीं, तो उनके कुछ ना कुछ इशारे होते रहते थे.
मैं भी अब उनके इशारों का जवाब इशारों से ही देने लगी थी.
जैसे कभी वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते, तो मैं भी मुस्कुरा देती.
चूंकि हमारा रिश्ता कुछ ऐसा था कि हम ज्यादा फ़्री होकर बात नहीं कर सकते थे इसलिए बात इशारों तक ही सीमित रही.
लेकिन तब भी मुझे उनकी पावर के बारे में जानना जरूरी था. कहीं ऐसा न हो कि जेठ जी का लंड भी मेरे पति जैसा ही नकारा हो.
इसके लिए मैंने जेठानी से बातों में खुलना शुरू किया.
एक दिन जेठानी ने खुद ही बता दिया कि उनके पति ने बहुत थका दिया.
वो सारी बात जरा तफसील से हुई थी. मैं उसमें जाना नहीं चाहती कि कैसे बात हुई थी. मेरे लिए इतना जान लेना काफी था कि जेठ जी मर्द हैं और मजबूत लंड वाले हैं.
अब मैं बिंदास उनके सामने खुलने की तैयारी करने लगी थी.
मैंने छूट देनी शुरू की, तो धीरे धीरे उनकी हरकतें बढ़ने लगी थीं.
उन्हें अब जब भी मौका मिलता, तो वो मुझे टच करने लगे थे.
मैंने उनके इस छुआ-छाई का कोई विरोध नहीं किया तो जेठ जी की हिम्मत बढ़ गई और अब तो वो मेरा हाथ भी पकड़ने लगे थे.
लेकिन यह सब वो समय और मौक़ा देखकर ही करते थे.
एक दिन मेरा हाथ पकड़ कर दबाने के बाद उन्होंने कहीं अलग जाकर मुझे फोन किया.
मैंने हैलो कहा, तो उन्होंने कहा- मैं तुम्हारा जेठ बोल रहा हूँ प्रिया.
उनकी आवाज सुनकर मेरे अन्दर एकदम से सनसनी सी भर गई.
मैंने कहा- हां जी, बोलिए?
उन्होंने कहा- मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा, तो तुम्हें कैसा लगा?
मैं चुप रही.
वो बोले- शर्माओ मत … बताओ न, कैसा लगा अच्छा या खराब!
मैंने धीरे से कह दिया- अच्छा.
उसी समय जेठ जी ने मुझे फोन पर एक चुम्मा लिया और बोले- ये चुम्मा कैसा लगा.
मैंने कह दिया- अभी बाद में बात करती हूँ. कोई आ रहा है.
जेठ जी ने हंस कर फोन रखते हुए कहा- मेरा नम्बर सेव कर लेना.
शाम को वो घर पर आए और मेरे लिए एक गिफ्ट लाए. मुझे पैकेट देते हुए बोले- ये तुम्हारे लिए है, अकेले में देखना.
उन्होंने गिफ्ट दिया और बाहर चले गए.
मैंने गिफ्ट का पैकेट खोला, तो उसमें ब्रा पैंटी का सैट था.
मैं मदमस्त हो गई. ये सैट लाल रंग का जाली वाला था.
मैंने उसी समय बाथरूम में जाकर उस ब्रा-पैंटी को पहना, तो मेरे चूचे और चुत साफ़ दिख रहे थे.
मैं उस सैट को पहन कर खुद को आईने में देखने लगी.
मैंने जेठ जी को याद करते हुए अपने मम्मे मसलना शुरू कर दिए. मेरी चुत से पानी टपकने लगा.
उस दिन मैं सारा दिन जेठ को ही याद करती रही.
शाम को उनका फोन आया तो उन्होंने पूछा- कैसा लगा था सैट?
मैंने कहा- बहुत ही मस्त!
वो खुश हो गए. मुझसे काफी देर तक बात करते रहे.
अब वो अपनी हॉट बहू को अक्सर गिफ्ट देने लगे. हमारी फोन पर भी कुछ ज्यादा बात होने लगी थी. मैं भी उनसे बात करने लगी थी.
अब तो कभी कभी हम दोनों की घंटों बात होती, हम दोनों का एक दूसरे में इंटरेस्ट बढ़ने लगा था.
एक बार की बात है, गर्मियों की छुट्टी में जेठानी जी अपने मायके गई थीं तो जेठजी खाना खाने हमारे घर आ जाते थे.
दूसरे दिन सुबह ही मेरे पति ने जेठजी को सुबह नाश्ते के लिए कॉल किया और घर बुला लिया.
जेठजी घर आ गए.
मेरे पति जेठजी से बोले- मुझे आज दोपहर में ही किसी जरूरी काम से इन्दौर जाना है. मुझे आने में तीन दिन लग जाएंगे. मेरी गैर हाजिरी में प्रिया को कोई सामान आदि की जरूरत हो, तो आप देख लेना.
फिर उन दोनों में कुछ देर बात हुई और पति ने मुझे चाय लाने का कहा.
मैं चाय लेकर उधर गई.
मैंने चाय रखते हुए जेठ जी को अपने दूध दिखाए और अश्लील इशारा करते हुए एक आंख मार कर अपनी जीभ को होंठों पर फिरा दी.
उन्होंने मेरे पति की नजर बचा कर मुझे आंख मारते हुए जवाब दे दिया.
जेठ जी अखबार पढ़ने लगे और मेरे पति नहाने चले गए.
मैं चाय के कप लेने गई तो जेठ जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने आंखों से उनको झूठा गुस्सा दिखाया पर उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे अपनी ओर खींच लिया.
मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं उनके ऊपर गिर गई. मेरे और उनके होंठ आपस में टकरा गए.
लेकिन मैंने जल्दी ही अपने आपको सम्भाला और उनसे दूर हो गई.
मैं जेठ जी पर प्यार भरा गुस्सा दिखाते हुए उन्हें आंखों ही आंखों में इशारा करने लगी कि अभी नहीं.
इस पर वो हंसने लगे.
मैं किचन में आ गई. मेरे दिल की धड़कनें जोर से धक धक हो रही थीं.
कुछ समय बाद जेठ जी घर से निकल गए. पति भी अपने जाने की तैयारी में लग गए. वो एक बजे स्टेशन के लिए निकल गए.
मैंने भी घर का सारा काम निपटाया और चार बजे काम से फ़्री होकर पहले पति को फोन लगाया.
वो ट्रेन में थे.
फिर मैंने जेठ जी को फोन लगाया और कहा- रात को खाने में क्या खाना है?
इस पर वो बोले- कहीं बाहर का प्रोग्राम करते हैं.
मैंने पूछा- किधर का?
वो बोले- तुम आठ बजे तक तैयार रहना.
मैंने पूछा- क्या कुछ स्पेशल है आज?
वो बोले कि हां … मिलो तो सही, फिर सब बताता हूँ.
फोन रखकर मैंने एक नींद लेना उचित समझा क्योंकि मैं जानती थी आज जेठ जी से मिलने का मौका है. रात को पता नहीं, कब सोने को मिलेगा.
मैंने एक घंटे के लिए सो गई. फिर उठकर मैं तैयार होने लगी और सोचने लगी कि क्या पहनूं.
आखिरी में मैंने तय किया कि साड़ी ब्लाउज़ ही ठीक रहेगा.
फिर मैंने ब्लू कलर की साड़ी और ब्लैक ब्लाउज़ पहना. ये ब्लाउज़ बैकलैस था और आगे से फ़्रंट डीप कट वाला था. इस ब्लाउज में से मेरे मम्मों की दरार साफ़ दिख रही थी.
मैंने साड़ी थोड़ा नीचे से बांधी थी ताकि मेरी नाभि खुली दिखे. बालों का जूड़ा बनाया था ताकि मेरे हुस्न के सामने जेठजी एकदम से फिदा हो जाएं.
मैं तैयार होकर अभी बैठी ही थी कि जेठ जी का फोन आ गया- मैं बाहर आ आ गया, तुम जल्दी से आ जाओ.
तो मैं बोली- बस रेडी हूँ, अभी लॉक करके आती हूँ.
मैं बाहर निकली और उनकी कार के पास आ गई. उनके बगल की तरफ का दरवाजा खोला और अन्दर आने लगी.
जेठ जी मुझे देखते ही बोले- प्रिया आज तक तुम्हें मैंने इस तरह नहीं देखा … तुम वाकयी बहुत ब्यूटीफुल लग रही हो. एकदम हॉट एंड सेक्सी लग रही हो. देख लेना, कहीं रास्ते में ही मेरा इरादा ना बदल जाए.
मैंने कहा- हां रहने दो … आज ही सेक्सी लग रही हूँ, इससे पहले तो मैं सेक्सी थी ही नहीं, इसी लिए आज तक आपने मेरे लिए एक शब्द तक नहीं बोला.
उन्होंने हंस कर कार स्टार्ट की और हम लोग रेस्टोरेंट की ओर चल दिए.
रास्ते भर वो मेरे हुस्न की तारीफ करते रहे.
हम लोग सिटी से बाहर एक अच्छे रेस्टोरेंट में आ गए. वहां एक किनारे वाली टेबल पर बैठकर खाने का ऑर्डर किया और बातें करने लगे.
रेस्टोरेंट में 2-4 लोग ही थे.
जेठजी को मस्ती सूझने लगी और उन्होंने मेरे पैरों के ऊपर अपने पैर रख दिए और मुझे छेड़ने लगे.
मैंने उन्हें आंखों से गुस्सा दिखाया पर वो आज कहां मानने वाले थे.
आखिर मैं भी उनका साथ देने लगी.
फिर कुछ देर बाद हमने खाना खाया और रात दस बजे घर की ओर वापस निकल पड़े.
रास्ते में जेठ जी ने कहा- प्रिया मैं आज तुम्हें उसी रूप में देखना चाहता हूँ, जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था … मतलब दुल्हन के रूप में.
मैंने कहा- अभी रात को!
वो बोले- हां.
मैंने आंख दबाते हुए कहा- सिर्फ देखना ही है ना!
वो बोले- नहीं, आज मैं मेरी दुल्हन के साथ सुहागरात मनाना है.
मैंने आंख मारकर उन्हें ग्रीन सिग्नल दे दिया.
इस पर जेठ जी ने खुशी से मेरे हाथों पर हाथ रख दिए और बोले कि चलो मेरे घर चलते हैं.
मैंने कहा- क्यों!
इस पर वो बोले- तुम्हारे लिए कुछ सरप्राइज है.
वो मेरे हाथ को उठाकर चूमने लगे.
मैंने कहा- अभी नहीं, अब हम दोनों सुहाग की सेज पर ही मिलेंगे.
फिर हम दोनों पहले मेरे घर पहुंचे तो मैंने दरवाजा खोला और हम दोनों अन्दर आ गए.
मैंने दरवाजा बन्द किया और जैसे ही मुड़ी, जेठ जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
तो मैंने कहा- अभी नहीं मेरे राजा … कुछ देर और इन्तजार कीजिए न!
मैं अपने आपको उनसे छुड़ाकर रूम में चली गई और दुल्हन वाले कपड़े पैक करने लगी.
दस मिनट बाद मैं बाहर आ गई और हम दोनों जेठ जी के घर की ओर निकल गए.
उनके घर पहुंच कर उन्होंने कहा- तुम गेस्टरूम में तैयार हो जाओ.
मैंने कहा- ओके, मैं तैयार होकर आपको आवाज देती हूँ.
मैं गेस्टरूम में घुस गई और दरवाजे लगा लिए.
आज मैं बहुत खुश थी. मुझे मेरी अतृप्त चुत के लिए अपने जेठ जी का लंड मिलने वाला था.