मौसेरी बहन की सीलतोड़ चुदाई की कहानी

भाई बहन की सेक्सी कहानी मेरी मौसेरी बहन की कुंवारी बुर की सील तोड़ कर फाड़ने की है. मेरी मौसी की दोनों बेटियाँ हमारे घर आई हुई थी, तब ये सब हुआ.

दोस्तो, ये मेरी सेक्स कहानी भाई बहन की चुदाई की कहानी पर आधारित है.
जिन पाठकों को भाई बहन की सेक्सी कहानी में रूचि न हो वो क्षमा करें.

मैं जबलपुर का रहने वाला एक मिडल क्लास फैमिली का लड़का हूँ और मेरा नाम राजेश उर्फ़ राज है.
मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है और मेरे लंड का साइज़ 6.1 इंच है. मैं यहां जबलपुर में अपनी ग्रॅजुयेशन की पढ़ाई पूरी करने आया हूँ.

ये घटना 5 महीने पहले की है.
मैं अपने गांव (उज्जैन के पास) गया हुआ था. वहां मेरी मौसी की बेटी आई हुई थी.

मेरी मौसी की दो बेटियां हैं. बड़ी वाली का नाम पारूल है, जिसकी उम्र 23 साल है. जबकि मेरी उम्र 20 साल है.
जो छोटी वाली बहन है, उसकी उम्र मेरे बराबर की ही है … यानि वो 20 साल की है. उसका नाम रचना है.

वैसे तो हमारी आपस में उतनी बनती नहीं थी … इसलिए मैं उन दोनों से कम ही बोलता था.

उस दिन जैसे ही मैं अपने घर में पहुंचा, मेरी नज़र मेरी बड़ी बहन पर पड़ी. मतलब वहां मेरी मौसी की बेटी आई हुई थी.

उसे देखकर मैं हैरान सा हो गया क्योंकि उस वक्त वो एक हाफ निक्कर में बैठी हुई थी और उसकी गोरी जांघें देखकर मेरे लंड में पानी आने लगा था.
वो भरपूर मस्त माल हो चुकी थी.

मैं उसे पूरे तीन साल बाद देख रहा था.
फिर जैसे ही उसने मुझे देखा, वो किलकारी मारती हुई उठी और उसने मुझे लपक कर गले से लगा लिया.

वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई.

उसने जैसे ही मुझे अपने सीने से लगाया तो पहले पहल मुझे बड़ा अजीब सा लगा.
लेकिन मुझे भी उसमें रस मिल रहा था, उसके तने हुए दूध मेरे सीने में गड़ रहे थे तो मैं भी उस मोमेंट को एन्जॉय करने लगा.

फिर मैं अन्दर जाकर मां से मिला.
मां ने मुझसे कहा- जाकर फ्रेश होकर थोड़ा आराम कर ले, फिर मैं तेरे लिए खाना लगाती हूँ.

मैं भी थका हुआ होने के कारण सीधा जाकर बाथरूम में घुस गया और अपनी बहन की चूचियों की रगड़न के मस्त अहसास को याद करते हुए लंड हिलाने लगा.
मुठ मार कर मैंने खुद को शांत किया और नहा लिया.

नहा कर मैंने खाना खाया और जैसे ही मैंने अपने रूम का दरवाज़ा खोला, मेरे सामने बेड पर मेरी छोटी मौसेरी बहन रचना सोई हुई थी.
वो बहुत गहरी नींद में थी.

वैसे तो उसे देखकर मेरे मन में पहले कुछ गलत ख्याल नहीं आया था. लेकिन जब उसने करवट बदली तो मैं हैरान ही हो गया था क्योंकि रचना के बूब्स भी बहुत बड़े हो चुके थे.

उसका फिगर यही कोई 34-28-36 का था … जो उसने बाद में मुझे खुद बताया था.

मैं बिना कुछ सोचे सीधे जाकर उसके बगल में लेट गया और टॉप के ऊपर से है उसके मम्मों को वासना से देखने लगा.
उसके मम्मों को देख कर मेरा झड़ा हुआ लंड मेरे निक्कर के अन्दर से फिर से सलामी देने लगा था.

कुछ देर यूं ही मैं लंड सहलाता रहा. फिर मन नहीं माना तो मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसके पेट पर अपना हाथ रख दिया.

जब उसने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी … तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई.
अब मैं उसके पेट को सहलाने लगा.

तभी अचानक से किसी के आने की आहट सुनकर मैं तुरंत हाथ हटाकर सोने का नाटक करने लगा.

फिर नाटक करते करते ही मुझे सच में नींद आ गई.

मेरी गहरी नींद में सो जाने के दो घंटे बाद शाम 6 बजे मैं उठा. अब तक मेरी बहन उठ कर बैठ चुकी थी और मुझे देखकर खुश भी थी.
उससे मेरी कुछ देर बात हुई.

फिर हम सबने मिलकर खाना खाया.

रात हो गई थी, तो हम सभी सोने की तैयारी करने लगे. हमारे घर में तीन कमरे थे … एक हॉल और दो रूम.

एक रूम में मां और पापा सोते थे और दूसरे में मैं.
लेकिन अभी घर में ज़्यादा लोग होने के कारण एड्जस्ट करना था, सो मैं हॉल में सोने वाला था और मेरी दोनों बहनों को मेरे रूम में सोने के लिए व्यवस्था हो गई.

मेरे मां और पापा सोने जा चुके थे और अभी रात के 11 बजे थे. हम तीनों भाई बहन आपस में बातें कर रहे थे.

कुछ ही देर बार पारूल को नींद आने लगी … तो वो उठकर रूम में सोने चली गई.

रचना और में अभी भी हॉल में टीवी देखते हुए बातें कर रहे थे लेकिन पता नहीं कब रचना बैठी बैठी ही सो गई.

उसे यूं अधलेटा सा सोती देख कर मेरे मन में खुरापाती बातें आने लगीं.
मैंने उसे आवाज लगाई तो उसने कोई उत्तर नहीं दिया.

जब मुझे लगा कि वो गहरी नींद में है, तो मैंने उसके पैर को लोवर के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.

उसकी कुछ भी प्रतिक्रिया ना देखकर मैंने धीरे धीरे उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
एकदम सॉफ्ट सा फील होने की वजह से मेरा लंड खड़ा हो चुका था.

मेरी हिम्मत और हवस दोनों ही अब चरम सीमा पर आ गए थे.
मैंने धीरे धीरे करके अपना हाथ उसकी चुत में डाला, तो महसूस किया कि उसकी चुत एकदम चिकनी थी.

मुझे उस वक्त चुदास चढ़ गई थी और मैं उसे इसी पोजीशन में चोदने की सोचने लगा.

फिर मैंने सोचा कि पहले इसे गर्म करना ठीक रहेगा.
मैं अपना हाथ उसकी चुत से निकाल कर उसके मम्मों पर ले गया और धीरे धीरे दूध मसलने लगा.

वो अभी भी नींद में थी और कोई भी प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी.

लगभग दस मिनट तक उसके टॉप के ऊपर से ही चुचियों को सहलाने मसलने के बाद मैंने अपना हाथ उसके टॉप के अन्दर डाल दिया.
उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी. उसके बड़े चुचों को मैं मस्ती से दबा रहा था.

अब मुझे अहसास होने लगा था कि वो जाग गई है और उसे भी मज़ा आ रहा है.
उसकी चूचियों ने सख्त होना शुरू कर दिया था जिससे मैं समझ गया था कि लौंडिया गर्म होने लगी है.

उसके गर्म होने का अहसास होते ही मैंने बेख़ौफ़ उसके लोवर को थोड़ा सा नीचे खींच दिया.
मेरे सामने उसकी पैंटी दिखने लगी थी जो कुछ कुछ भीग सी गई थी.

मैंने एक साथ में ही लोअर और पैंटी को नीचे खींचते हुए उतार दिया.
हॉल में अंधेरा होने के कारण मुझे उसकी चुत का दीदार ढंग से तो नहीं हो पाया … लेकिन फिर भी उस अंधेरे में उसकी चुत पर उभरा हुआ पानी चमक रहा था.

मेरे हाथ ने चुत को छुआ तो उसे एक करेंट सा लगा. इतनी मुलायम चुत को छूकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी टांगों को फैला दिया.

उसकी चुत की भीनी भीनी महक मुझे मदांध करने लगी और मैंने पोजीशन बना कर उसकी चुत को चाटना शुरू कर दिया.

जैसे ही मेरी जीभ ने उसकी चुत को टच किया, वो सिहर उठी और उसने अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चुत पर दबा लिया.

अब खेल का खुलासा हो गया था.
मैं भी मस्ती से अपनी बहन की चुत चाटने लगा था और वो भी मस्ती से गांड उठा कर मुझसे चुत चटवाने का मजा लिए जा रही थी.

कुछ मिनट बाद मेरी बहन शरीर का अकड़ने लगा और वो आह आह करती हुई झड़ गई.

अब मेरी बारी थी … मैंने अपने निक्कर में से अपना 6.1 इंच का लंड निकाल कर उसकी चुत की फांकों में रखा और रगड़ने लगा.
उसने भी अपनी टांगें फैला कर मेरे लंड को दिशा दे दी. मैं उसके ऊपर चढ़ सा गया था और उसकी एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर पीने लगा.

उसे चूची चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था और वो अपनी छाती उठा कर मुझे पूरा दूध चुसाने की की कोशिश कर रही थी.
साथ अपनी गांड उठा कर मेरे लंड को अपनी चुत के अन्दर लेने के लिए तड़प रही थी.

मैंने उसे ज़्यादा ना तड़पाते हुए उसके होंठों पर अपने होंठों रखकर धीरे धीरे अपना लंड उसके चुत में धकेलने लगा.

बहन की चुत की फांकें एकदम कस कर चिपकी हुई थीं.

अभी मुझे मालूम नहीं था कि इसकी चुत की ओपनिंग हो चुकी है या मैं करूंगा.
मगर जो भी हो, वो एक टाईट माल थी.

मैंने जब धक्का मारा, तो लंड फिसल गया और उसकी गांड की तरफ चला गया.
वो लंड की सरसराहट अपनी गांड की तरफ पाकर चिहुंक गई मगर मैंने उठ कर लंड फिर से चुत पर टिका दिया था.
तो वो फिर से धक्के का इंतजार करने लगी.

इस बार मैंने ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगा कर उसकी चुत की फांकों में फंसा दिया, तो उसने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर छेद में सैट कर दिया.

अब मैंने धीरे से धक्का दिया तो लंड का सुपारा अन्दर चला गया.
लंड अन्दर घुसा तो वो एकदम से सिहर उठी.

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद किया हुआ था … तो वो चीख नहीं सकी.
मगर उसे दर्द ज्यादा हो रहा था तो वो मुझे धक्का देते हुए हटाने की कोशिश करने लगी.

उसकी चुत एकदम ऐसी थी मानो सिली हुई हो … लंड पेलते ही मुझे अहसास हो गया था कि मैं ही इसकी चुत को फाड़ने वाला ओपनर बनने जा रहा हूँ.

चुत भले ही टाइट थी मगर जैसे ही मुझे ये अहसास हुआ कि मैं ही चुत की सील तोडूंगा, मुझमें एक गजब की मस्ती छा गई.

वो अपनी वर्जिनिटी को लेकर बहुत तड़फ रही थी और चीखने चिल्लाने की कोशिश कर रही थी.
मगर मैंने एक शिकारी की तरह उसे अपनी पकड़ में दबोच रखा था.

वो बेतहाशा छटपटा रही थी लेकिन मैं नहीं रुका और मैंने दूसरे धक्के से साथ ही अपना लंड उसकी चुत की फांकों को चीरते हुए पूरा अन्दर ठांस दिया.

मेरे होंठ उसके होंठों पर जमे होने के कारण वो चिल्ला ना सकी.
मैंने लंड अन्दर पेला और रुक गया.

उसकी छटपटाहट मुझे एक मुर्गी के जैसी लग रही थी.
उसी समय मुझे कुछ गर्म गर्म सा अपने लंड पर फील हुआ, मैं समझ गया कि इसकी सील टूट चुकी है.

मैं कुछ देर रुका रहा. उसको थोड़ा आराम मिलने पर मैंने धीरे धीरे लंड को हिलाना शुरू किया.

अब उसे भी दर्द नहीं हो रहा था क्योंकि उसकी कमर ने भी जुम्बिश देना शुरू कर दिया था.
एक दो धक्कों के बाद अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी.

मैंने अपने होंठों का ढक्कन उसके होंठों से हटा कर उसे चूमा तो वो लम्बी सांस लेती हुई मेरे सीने पर घूंसा मारने लगी.

मैं हंस कर धीमी आवाज में पूछा- क्या हुआ?
तो वो कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी.

अब जब उसे भी चुदाई का मज़ा आने लगा … तो मैंने अपना लंड पूरा बाहर निकाला और एक बार में पूरा अन्दर घुसा दिया.

उसके मुँह से हल्की सी चीख निकली, जो उसने इस बार खुद दबा ली थी.

मैंने अपनी बहन को चोदना चालू कर दिया.
तो उसके मुँह से ‘आउहह … एयेए राज चोदो … आह फक मी फक मी हार्ड राज … प्लीज़ फक मी.’ की मादक आवाजें आने लगीं.

मैंने भी अब अपने लंड के धक्के तेज़ तेज़ देने शुरू कर दिये थे.
लेकिन थोड़ा डर भी था कि कहीं कोई आ ना जाए.

इसलिए वो कहने लगी- राज जल्दी कर लो … कोई आ न जाए.
मैं भी ताबड़तोड़ चुत फाड़ने में लग गया.

करीब पन्द्रह मिनट बाद मैं उसकी चुत में ही झड़ गया.

जब वो उठने लगी तो उसे चूत और टांगों में बहुत दर्द हो रहा था, जिससे वो चल भी नहीं पा रही थी.

मैंने उससे बोला- कोई पूछे कि क्या हुआ ऐसे क्यों चल रही हो, तो बोल देना कि मोच आ गई है.
उसने हंस कर हां कह दी.

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