देसी लड़की को गर्लफ्रेंड बना कर प्यार किया-1

प्यार जिंदगी में सिर्फ एक बार होता है। आज वो मेरी जिंदगी में नहीं है पर मैं अब भी सिर्फ उसे ही प्यार करता हूँ। गर्लफ्रेंड के साथ मेरे प्यार की मेरी सेक्स स्टोरी का मजा लें.

नमस्कार दोस्तो, मैं राजेश … मेरी पिछली कहानी
मकान मालकिन भाभी की चुदाई
आपने पढ़ी और पसंद की. धन्यवाद.
आपके सामने आज एक नई कहानी के साथ आया हूँ। यह मेरे प्यार की कहानी है.

लोग कहते हैं कि प्यार जिंदगी में कई बार हो सकता है. पर मुझे लगता है कि प्यार जिंदगी में सिर्फ एक बार होता है।
आज वो मेरी जिंदगी में नहीं है पर मैं अब भी सिर्फ उसे ही प्यार करता हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं क्लास में था।
मेरे साथ मेरे बगल वाले घर में ही रहने वाली एक लड़की, जिसका नाम निधि था, पढ़ती थी।

निधि एक सामान्य कद की खूबसूरत लड़की थी. हालांकि क्लास में उससे भी खूबसूरत कई और लड़कियां थी। पर मेरी निधि के चेहरे में एक अजब सी कशिश थी, मैं अंदर ही अंदर उसे पसंद करता था.
पर कभी उससे अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाया।

निधि मेरे साथ ही पढ़ने जाया करती थी. अक्सर वो रास्ते में मुझसे बात करते हुए बताती कि उस लड़की चक्कर, उस लड़के से है, उसका उससे है।
वो अक्सर मुझसे भी पूछती थी- तुम भी किसी को पसन्द करते हो तो बताओ?
तब मैं उसे हर बार मना कर देता था।

वो मुझसे कहती- अगर किसी को पसन्द करते हो तो कहो; मैं उससे बात कर लूं?
मैं तब भी उसे मना कर देता।

कभी कभी वो मुझसे कहती कि अगर किसी को पसन्द करते हो तो उसे कह दो. नहीं तो एक दिन बहुत पछताओगे.
और मैं हर बार मुस्कुरा के रह जाता था।

मैं अक्सर सोचता कि पहले वो कहे … पर अक्सर बात अधूरी रह जाया करती थी।

फरवरी के महीना शुरू हो गया था, उस दिन प्रपोज़ डे था.
रास्ते में निधि ने कहा कि आज प्रपोज़ डे है, किसी को प्रपोज़ करना है या नहीं?
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- पहले तुम बताओ।

निधि ने कहा- हाँ, आज मुझे किसी को प्रपोज़ करना है अगर वो मुझे नहीं करता है तो!
तब मैंने उससे कहा- ऐसे ही जाकर किसी भी लड़के को प्रपोज़ कर दोगी?
निधि ने कहा- इशारा तो उसे बहुत करती हूँ पर वो मेरी बात ही नहीं समझता है.
तब मैंने कहा- चलो हो सकता है कि आज वो तुम्हें प्रपोज़ करे।

उस दिन पूरे समय क्लास से बाहर न ही वो निकली, न मैं!
शाम को छुट्टी होने के बाद घर आते हुए रास्ते में उसने पूछा- तुम तो पूरा दिन क्लास में ही थे; प्रपोज़ तो किया नहीं किसी को?
तो मैंने कहा- तुम भी तो क्लास में ही थी।
तब निधि ने कहा- मैंने तो सोच लिया है कि अगर वो प्रपोज़ नहीं करता है तो मैं भी उसे नहीं करूंगी. देखती हूँ कब तक नहीं करेगा. तुम अपना बताओ।
मैंने कहा- मैं आज शाम को उसे प्रपोज़ करूँगा, अगर वो भी मुझे पसंद करती है तो वो शाम को घर जरूर आएगी।

उस दिन घर आकर शाम को छत पर बैठ कर उसका इंतज़ार कर रहा था. तभी मेरे बगल की ही दूसरी लड़की छत पर आई और मुझसे बात करने लगी।

मैं मन ही मन सोच रहा था कि ये मुसीबत कहा से आ गयी. निधि के आने से पहले ही चली जाए!
तभी अचानक निधि भी छत पर आ गयी और उस लड़की को देखकर तुरन्त वहाँ से जाने लगी। मैंने उसे आवाज देकर रोकने की कोशिश की. पर वो ये कहते हुए ‘बाद में आऊंगी’ तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरने लगी।

मैंने उस लड़की से बहाना बना कर कहा- देखो किताब लेने आई थी पर भूल गयी. तुम यहीं रुको, मैं अभी उसे देकर आता हूँ।
मैं तेजी से नीचे गया और दौड़कर मैंने गली में निधि का हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया.

मैंने उससे कहा- तुम वापस क्यों चली आई?
निधि ने कहा- तुम आज नेहा को प्रपोज़ करने वाले थे न … इसलिए मैं वापस आ गयी.
मैंने निधि से कहा- पागल, मैं उसको थोड़े ही पसन्द करता हूँ, मैं तो तुम्हें पसन्द करता हूँ।

इसे संयोग कहिये या हड़बड़ाहट … जल्दबाज़ी में मेरे मुख से निकल गया कि मैं निधि को पसन्द करता हूँ।

यह सुनकर निधि मेरी तरफ देखती हुई बोली- अब आज मुझे ही बेवक़ूफ़ बनाओगे?
मैंने निधि से कहा- सच में मैं तुमको पसन्द करता हूँ. क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो?
निधि ने कहा- रात में दस बजे कॉल करने जवाब तभी मिलेगा.
और वो अपने घर चली गयी।

मेरा तो उस दिन समय ही नहीं कट रहा था. किसी तरह रात के दस बजे. मैंने तुरन्त ही निधि को कॉल किया.
पहले तो उसने मुझे इधर उधर की बातों में उलझा कर रखा पर कुछ देर बाद उसने हाँ कह दिया।

उस दिन के बाद से हमारी प्रेम कहानी परवान चढ़ने लगी.

अगले दिन शाम को जब वो अकेले मिली तो मैंने पहली बार उसको किस किया।
उसको किये हुए पहले किस का एहसास मुझे आज भी याद है.

हम दोनों के घर आस पास होने के कारण हम दोनों अक्सर मिल जाया करते थे. कभी मौका देखकर मैं उसके होंठों को किस कर लेता था. कभी उसकी चूचियों को दबा लिया करता था. पर इसके आगे बढ़ने का मौका हमें नहीं मिलता था।

रात में फोन पर कई कई घण्टे बातें किया करते थे. फोन पर मैं उसके साथ लगभग हर रात फोन सेक्स भी किया करता था।
मिलन की ख्वाहिश पर अब भी अधूरी थी।

निधि खेतों की तरफ भी जाती तो अपनी मम्मी के साथ जाती थी इसलिए उधर भी मिलने का मौका नहीं मिला।

इसी तरह पूरा साल गुजर गया. निधि के घर उसकी मामा की लड़की आई हुई थी। जो ग्यारहवीं में थी और बारहवीं बोर्ड के एग्जाम के कारण उसके स्कूल की छुट्टी हो गयी थी, उसका एग्जाम बोर्ड एग्जाम के बाद होना था।
निधि ने उसे मेरे बारे में बता दिया था।

उस रात निधि से बात करते हुए मैंने उसे मिलने के कहा तो उसने कहा- ठीक है, कल मटर तोड़ने के लिए कल खेत पर ज्योति (उसके मामा की लड़की) के साथ आऊंगी. वहीं तुम आ जाना।

अगले दिन दोपहर में ही मैं उसके खेतों में पहुँच गया. उसके खेत में मटर के पास में ईख भी बोई गई थी।

मैं चोरी से ईख के खेतों से होते हुए मटर के खेत में पहुँच गया. मटर के साथ उसमें सरसों भी बोई गई थी जो काफी बड़ी हो गयी थी।

वहाँ पर बैठे बैठे मैंने खुद ही काफी सारी मटर तोड़ ली थी.
तभी निधि का कॉल आया कि वो खेतों पर पहुँचने वाली है।

मैंने निधि को बताया कि मैं खेत में ही हूँ, तुम खेत के बीच में आ जाओ.

कुछ देर बाद निधि ज्योति के साथ वहाँ आ गई।

ज्योति ने आते ही कहा- प्रणाम जीजा जी!
तो मैंने कहा- खुश रहो साली साहिबा.
तब उसने कहा- हम तो खुश हैं ही, अब आप भी खुश है ना?
मैंने उससे कहा- आप दोनों आज मिलने आई हैं तो मैं तो खुश हूँ ही!

इसके बाद मैंने डेरी मिल्क के चॉकलेट ज्योति को खाने को दिया।
ज्योति ने मुझसे कहा- जाइये जीजा जी, दीदी के साथ अकेले में आराम से मिल लीजिये. तब तक मैं मटर तोड़ लेती हूँ।
मैंने तोड़े हुए मटर की तरफ इशारा किया< और कहा- आपको सिर्फ ध्यान देना है कि कोई इधर न आये. कोई अगर इस तरफ आता है तो आप कॉल कर देना. मैंने आपका काम पहले ही कर दिया है। उसके बाद मैं निधि को लेकर गन्ने के खेत में आ गया. एक जगह थोड़ी सी जगह खाली थी वहीं पर मैंने निधि को रोक कर उसके सामने घुटनों के बल बैठ कर उसका हाथ पकड़ कर उसे 'आई लव यू' बोला। जवाब में निधि ने भी मुझे 'आई लव यू' बोला. उसके बाद मैंने निधि के चेहरे को हाथों में लेकर उसके माथे को चूम लिया। निधि की आँखों में देखते हुए मैंने उससे कहा- मेरी जान, क्या तुम्हें प्यार करने की इजाज़त है? तो उसने कहा- हाँ, है जान। उसके बाद मैंने निधि के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया, वो भी मेरे होंठों को चूसते हुए मेरा साथ दे रही थी। कुछ देर होंठों को चूसने के बाद मैंने उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी, वो मेरी जीभ चूसने लगी. उसके बाद उसने अपनी जीभ मेरी मुह में डाल दी और मैंने उसकी जीभ चूसी। मैं अपने साथ एक गमछा साथ लाया था, मैंने उसे वहीं जमीन पर बिछा दिया और निधि के टीशर्ट को उतारने लगा तो निधि ने मुझे रोक दिया। वो बोली- कोई आ जाएगा तो दिक्कत हो जाएगी. और अपनी टीशर्ट और ब्रा को उठा कर अपनी चूचियों के ऊपर कर दिया। मैंने निधि को गमछे के ऊपर लिटा दिया और उसकी बायीं चूची के निप्पल को अपने मुहँ में लेते हुए बोला- इसके नीचे मेरी जान का दिल है, जो सिर्फ मेरे लिए धड़कता है। मैं निधि की बायीं चूची को पी रहा था और उसकी दायीं चूची को दबा रहा था. कुछ देर बाद मैंने उसके दायीं चूची को चूसना शुरू कर दिया, और बायीं चूची के निप्पल को मसलने लगा। निधि की सांसें भारी हो गयी थी, वो मुझसे बोली- जान जल्दी करो। मेरी भी उत्तेजना बढ़ गयी थी तो मैंने उसकी लेगीज और पैंटी को उतार कर उसे नंगी कर दिया। मैंने झुक कर उसकी दोनों टाँगों को फैला दिया और उसकी बुर की तरफ देखा, वो आज बालों को साफ करके आई थी। मैंने अपना मुंह उसके बुर के पास ले जाकर उसको चूम लिया और अपनी जीभ उसकी बुर में डाल कर उसको चूसने लगा। अब तक निधि के साथ मुझे पांच-सात मिनट हो गए थे, मेरी भी उत्तेजना काफी बढ़ गयी थी। मैंने अपना लोअर और अंडरवियर नीचे खिसका दिया और अपना लन्ड अपने हाथों में लेकर निधि से उसे चूसने को कहा। रात में फोन सेक्स के दौरान मैं उसे अपना लन्ड भी चुसाता था इसलिए निधि उठकर मेरे सामने घुटनों के बल आ गयी और अपने हाथों में मेरे लन्ड को पकड़ लिया। उसके नर्म हाथों का स्पर्श पाकर मेरी आँखें अपने आप बन्द हो गई और निधि मेरे लन्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। थोड़ी देर बाद ही मैंने उसके मुख से लन्ड निकाल लिया और निधि को लिटा कर उसकी टाँगें फैला दी। मैंने अपना लन्ड निधि की बुर पर रख कर धक्का लगाया तो मेरा लन्ड फिसल गया। मैंने तीन चार बार लन्ड उसकी बुर में डालने का प्रयास किया मगर हर बार वो फिसल जाता था। उसके बाद मैंने निधि से कहा- जान तुम मदद करो. तब निधि ने मेरे लन्ड को पकड़ कर अपनी बुर की छेद पर रखा और मुझसे धक्का लगाने का इशारा किया। मैंने एक धक्का लगाया तो मुझे लगा कि मेरा लन्ड जैसे किसी चीज को चीरते हुए गरम भट्टी में चला गया है। निधि ने अपनी आँखें बंद कर ली थी, दर्द उसके चेहरे लर साफ दिखाई दे रहा था. मैंने निधि से कहा- मेरे बेटा को ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ न? तो वो मेरी तरफ देखकर बोली- नहीं ज्यादा नहीं हुआ है। उसके बाद मैं उसके ऊपर लेट कर धक्के लगा कर निधि को चोदने लगा। यह मेरी पहली चुदाई थी इसलिए लगभग तीन चार मिनट निधि को चोदने के बाद ही मैं स्खलित हो गया। बाद में धीरे धीरे निधि को चोदते हुए मेरी चुदाई का समय भी बढ़ गया था। उसके बाद निधि ने अपने कपड़े पहनने लगी. मैंने उसे कहा- तुम यहीं रुको, मैं बाहर देख कर आता हूँ। उसके बाद मैं खेत की तरफ बाहर आया तो किनारे पर ज्योति थी, उसने मुझसे कहा- आप तो दीदी से मिल लिए, पर मुझे क्या मिला? मैंने ज्योति से कहा- जो मांगो ... अगर मैं उसे दे सकता हूँ तो जरूर दूंगा. तब उसने कहा- याद रखियेगा. जब जरूरत होगी तब मांग लूंगी. मैंने कहा- ठीक है। इसके बाद उसने निधि को आवाज लगाई. कुछ देर बाद निधि बाहर आ गयी और मैं बचते बचाते हुए वहाँ से निकल गया। ज्योति गांव में करीब दो महीने तक रही थी. और उन दो महीनों में कभी दोपहर तो कभी शाम के अंधेरे में मैंने निधि की कई बार चुदाई की।

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