जीजू के पापा ने मेरी चुत की सील तोड़ दी

हाय ऑल! मैं अंजलि प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ. मैं अभी 21 साल की हूँ. मैं अभी पिछले 2 महीने से ही अन्तर्वासना की देसी सेक्स कहानी की दुनिया से जुड़ी हूँ.

अन्तर्वासना की सेक्स कहानियों को पढ़ कर मुझे मानो एक ऐसा पटल मिल गया था, जिधर मैं अपनी सारी बात खुल कर जाहिर कर सकती थी.

मुझे इसमें प्रकाशित हर सेक्स कहानी को पढ़ कर बहुत मज़ा आता है.
चुदाई की बातें पढ़ कर मेरा मन चुदाई के लिए मचलने लगा था जबकि पहले मुझे चुदाई के नाम से ही बहुत डर लगता था.

अब मैं अपनी सहेलियों के बीच सेक्स की बातों को सुनकर काफ़ी मज़े लेती हूँ.

जब मैं कल एक सेक्स कहानी पढ़ रही थी, तो अपनी चुत रगड़ रही थी. उसी समय मैंने भी सोची कि मैं भी अपनी सेक्स स्टोरी आप सभी को लिख कर बताऊं कि मेरे साथ क्या हुआ था.

ये देसी अंकल सेक्स स्टोरी 2 साल पहले की है, जब मेरी उम्र 19 साल की थी. उस समय मैं अपने जीजू के घर गई थी क्योंकि उनके घर पर उस टाइम कोई नहीं रहने वाला था.
चूंकि मेरे जीजू के छोटे भाई की वाइफ को गांव वाले घर में बच्चा हुआ था, तो जीजू दीदी और बच्चे गांव जाने वाले थे.

जीजू के पापा जो लखनऊ में सरकारी नौकरी में थे, वो एक पुलिस स्टेशन में दारोगा थे, तो उन्हें छुट्टी नहीं मिली थी, इस वजह से वो लखनऊ में ही रह गए थे.

मेरे पापा ने मुझसे कहा- तुम उनके घर लखनऊ चली जाओ, वहां उनके लिए खाना पीना और देखभाल कर लेना.
जीजू और उनकी फैमिली भी यही चाहती थी.

फिर मैं अगले दिन ट्रेन से निकल गई. चूंकि मैं भी अपनी बी.ए के पहले वर्ष के एग्जाम दे चुकी थी, तो बिल्कुल फ्री थी.

जब मैं वहां शाम को पहुंची, तो मेरी तबीयत खराब हो गई थी. ये जून का महीना था और ट्रेन में काफ़ी गर्मी थी, जिस वजह से मुझे कुछ असहज लगने लगा था.

लखनऊ पहुंचते पहुंचते मेरी तबीयत कुछ ज्यादा खराब हो गई थी. तो मेरे जीजू के पापा मुझे अपनी बाइक से डॉक्टर के पास ले गए.
उस दिन जीजू काफी व्यस्त थे और उनको दूसरे दिन सुबह दीदी को लेकर गांव निकलना था.

दोस्तो, अब इधर मैं अपने जीजू के पापा के बारे में कुछ बता देती हूँ. वो बहुत ही हैंडसम हैं. उनकी उम्र लगभग 55 साल की रही होगी. चूंकि वो एक दारोगा थे, तो उनकी बॉडी काफ़ी मजबूत थी और उनकी हाईट भी 6 फिट से कुछ ज्यादा ही थी.

मैं उनके साथ बाइक पर जा रही थी, तभी उन्होंने मुझे अपनी कमर पकड़ने को बोला.
मैंने सहज भाव से अंकल की कमर पकड़ ली.

उनकी कमर पकड़ते ही मुझे कुछ अजीब सा लगा और उनकी बॉडी की मर्दाना सुगंध से मैं मदहोश सी हो गई.

फिर डॉक्टर से चैकअप कराने के बाद मैं वापस घर आ गई.

रात में हम सब खाना खाकर सो गए. अगले दिन मेरे जीजू और दीदी की ट्रेन थी, तो वो लोग भी गांव निकल गए.

अब घर में मैं और मेरे जीजू के पापा ही अकेले रह गए थे. चूंकि मेरी दीदी की शादी के एक साल पहले ही मेरे जीजू की मम्मी की मृत्यु हो चुकी थी और जीजू के भाई और उसकी वाइफ पहले से ही गांव में थे.

दूसरे दिन मैं सुबह 9 बजे सोकर उठी और चाय आदि बनाई.

मैंने जीजू के पापा को चाय दी तो वो बोले- मैं आज शाम को खाना बाहर से ही ले आऊंगा, तो तुम घर पर खाना मत बनाना.
मैंने कहा- ठीक है अंकल.

मैं उनको अंकल जी बुलाती थी. मुझे उनसे बहुत शर्म आती थी, मैं उनके सामने ज्यादा कुछ नहीं बोलती थी.

अगले 7 दिन तक सब कुछ नॉर्मल चला. फिर एक दिन रात में नींद खुली, तो मैंने कुछ आवाज़ सुनी.

जब अपने रूम से बाहर आई, तो देखा कि ये आवाज़ तो अंकल जी के रूम से आ रही है.
तो मैं वहां गई.

उनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था, जब मैंने अन्दर झांक कर देखा, तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.

अंकल जी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और एकदम नंगे होकर अपने लंड को हिला रहे थे. उनके एक हाथ में उनकी वाइफ की फोटो थी और फोटो देख कर वो लंड हिला रहे थे.

ये सीन देखकर मैं उधर से भाग कर अपने रूम में आ गई.
उस रात में अंकल जी के बारे में ही सोच रही थी. मेरी सांसें तेज तेज चल रही थीं क्योंकि मैंने पहली बार किसी मर्द का लंड देखा था.

उस दिन से मैं अंकल जी के बारे में ना चाहते हुए भी सोचने लगी.
मैं अपने मन में मानती थी कि ये रिश्ता सही नहीं होगा. लेकिन मेरा मन उनका मोटा लंड देख कर मचल उठा था और मान ही नहीं रहा था.

मुझे उनके बारे में सोच कर बहुत मज़ा आ रहा था. चूंकि मैं अभी तक कुंवारी कमसिन कली थी, तो मुझे काफ़ी उत्तेजना हो रही थी.

इस तरह दस दिन बीत गए. अब मैंने फैसला कर लिया था कि मैं अंकल जी को पटाकर उनसे अपनी प्यास बुझाऊंगी … आख़िर उन्हें भी एक चुत की ज़रूरत थी.
उनकी वाइफ की डेथ हुए लगभग 6 साल हो चुके थे.

फिर मैं हर दिन कोशिश करने लगी कि अंकल जी के सामने कामुक बन कर रहूँ.
जब वो घर आते तो मैं उनको देख कर स्माइल करती और उनके साथ बाहर घूमने को कहती.

वो भी मुझे अपने साथ बाइक पर बिठा कर ले जाते और मैं भी उनकी कमर पकड कर उनके मर्दाना जिस्म को स्पर्श करके अपने अन्दर की आग को भड़काती रहती.
उधर अंकल जी भी मेरे मम्मों को अपनी पीठ पर रगड़ते हुए महसूस करके मुझे प्यार से देखने लगे थे.

एक रात जब वो घर आए, तो बोले- मैं बहुत थक गया हूँ. जल्दी से नहा लेता हूँ, फिर कुछ देर आराम करूंगा.
मैं हां करके चुप हो गई.

अंकल जी नहाने के बाद अपने रूम में चले गए.

मैं तेल की बोतल लेकर जानबूझ कर उनके शरीर कि मालिश करने चली गई.

वो मुझसे बोले- क्या हुआ?
मैंने कहा- आप थक गए हो, मैं आपकी मालिश कर देती हूँ. आपको आराम मिल जाएगा.

वो मना कर रहे थे.
लेकिन मैंने ज़िद की तो वो मान गए.

वो पेट के बल लेट गए और मैं उनकी पीठ पर तेल टपका कर अपने नर्म मुलायम हाथों से मालिश करने लगी.

उनकी बॉडी एकदम पहलवानों के जैसी थी. मैं उनके जिस्म की तपिश से बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.

मैंने अंकल के पूरे शरीर पर अपने हाथों से मालिश की.

अब मैं उनकी टांगों पर पहुंच गई थी. मैंने महसूस किया कि वो अंडरवियर नहीं पहने हुए थे चूंकि अभी नहा कर आए थे.
और उनके मुँह से शराब की महक आ रही थी. अंकल जी ने शराब पी रखी थी.

मैं मुस्कुरा उठी.

मैंने जानबूझ कर अपना एक हाथ उनकी तौलिया के अन्दर कर दिया और उनकी गांड पर मालिश करने लगी. अंकल जी ने भी अपने पैर फैला दिए.

कुछ देर के बाद मेरी चुत बिल्कुल गीली हो गई और ना जाने मुझे क्या हुआ, मैं वहां से जाने लगी.

तभी अंकल जी उठे और उन्होंने मेरे एक हाथ को पकड़ लिया. जब मैं उनकी तरफ मुड़ी, तो वो मुझे अपनी गोद में खींच कर किस करने लगे.
मुझे अजीब सा लगा और मैं उन्हें मना करने लगी, लेकिन वो नहीं माने.

हालांकि मैं खुद भी यही चाहती थी. मैंने अपना विरोध बंद कर दिया और आंख बंद करके उनकी गतिविधियों को महसूस करने लगी.

अंकल जी ने मुझे अपनी बांहों में भरकर अपने बेड पर लिटा दिया और मुझे किस करने लगे. उनके मुँह से शराब की तेज स्मेल आ रही थी, वो नशे में थे.
आज मुझे ये महक काफी मस्त लग रही थी.

फिर वो अपने एक हाथ से मेरी चुत को दबाने लगे, मुझे बहुत शर्म आ रही थी … लेकिन चुदने का मन भी कर रहा था इसलिए मैंने उन्हें मना नहीं किया.

फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और ब्रा को अलग कर दिया. अंकल जी मेरे मम्मे चूसने लगे.
वो जोर जोर से मेरे दूध चूस रहे थे, इससे मुझे मीठा मीठा दर्द होने लगा. मुझे बेहद मज़ा भी आ रहा था.

इसके कुछ देर बाद अंकल जी ने मेरी पैंटी भी उतार दी और मेरी कमसिन चुत देख कर बोले- तुम अभी वर्जिन हो?
मैं बोली- जी.

तो वो बोले- आज मैं तुम्हारी वर्जिनिटी तोड़ दूंगा.
मैं शर्मा गई और अपना मुँह उनके सीने में छिपा कर उनसे चिपक गई.

फिर अंकल जी ने अपनी तौलिया हटा दिया और पूरे नंगे हो गए.
मैं उनका लम्बा और मोटा खड़ा लंड देख कर सहम गई लेकिन चूत में चुनचुनी हो रही थी कि बस किसी तरह से इस लम्बे लौड़े से चुद लूं.

अंकल जी मेरी चुत चाटने लगे.
अपनी कुंवारी चुत पर एक मर्द की जीभ का अहसास पाते ही मेरे पूरे जिस्म में जैसे करंट दौड़ गया था.

मेरे शरीर में सिहरन होने लगी तो अंकल जी को मजा आने लगा और वो पूरे मनोयोग से मेरी कमसिन चुत का नमकीन पानी चाटते हुए चुत के अन्दर तक जीभ देने लगे.

मैंने अंकल जी से पूछा- मुझे सनसनी सी क्यों हो रही है?
तो वो बोले कि ये तुम्हारा पहली बार है … इसीलिए तुम मस्त हो रही हो.

कोई पांच मिनट तक की चुत चटाई में मैं पूरी तरह से पागल हो गई थी.

अंकल जी अब समझ गए थे कि लौंडिया गर्मा गई है.
उन्होंने मेरी टांगों को फैला दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए.

अंकल जी ने अपने लंड को मेरी चुत कि फांकों में रखा और रगड़ने लगे.
मुझे मर्द के लंड का अहसास अपनी चुत पर हुआ तो मैं अपनी गांड उठाने लगी.

अंकल जी ने लंड को चुत पर दबाया तो लंड चुत के अन्दर नहीं गया. क्योंकि मेरी चुत का छेद बिल्कुल छोटा सा था और अंकल जी लंड गधे जैसा हब्शी लंड था.

फिर उन्होंने अपने लंड पर एक क्रीम लगाई और चुत में डालने लगे.

मैं बोली- अंकल कुछ प्राब्लम तो नहीं हो जाएगी?
अंकल जी बोले- कुछ नहीं होगा. बस शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा. फिर मज़ा ही मज़ा आएगा.

ये कह कर उन्होंने अपना लंड मेरी चुत में पेल दिया.
अंकल जी का लंड अभी थोड़ा सा ही चुत के अन्दर गया था कि मेरी आंखों से आंसू निकल आए और मैं रोने लगी.

वो रुक गए और मुझे किस करने लगे.
जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो फिर अंकल जी ने एक बार अपनी गांड हिलाई और झटका दे दिया.

इस बार अंकल जी का आधा लंड मेरी चुत में घुसता चला गया था. उनके पूरे शरीर का वजन मेरे ऊपर आ गया था.

मैं उनकी बॉडी से दब चुकी थी उनकी जांघें भी काफ़ी मजबूत थीं. वो एक पहलवान मर्द थे.

थोड़ी देर तक अंकल जी मेरे ऊपर चढ़े रहे.
फिर उन्होंने मुझसे पूछा- अब दर्द कुछ कम हुआ?
मैं मरी हुई कुतिया की आवाज में बोली- जी.

उन्होंने फिर से अपनी गांड हिलाई और ताकत से पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
मुझे वो धीरे धीरे चोदने लगे.

कुछ धक्कों के बाद मुझे भी चुदने में मज़ा आने लगा.
अंकल जी समझ गए थे कि अब मुझे मज़ा आ रहा है तो वो अपनी गांड जोर जोर से हिलाने लगे और मुझे ताबड़तोड़ चोदने लगे.

सच में मुझे मज़ा तो बहुत आ रहा था लेकिन शर्म भी आ रही थी. क्योंकि मैं एक 55 साल के मर्द से चुद रही थी, वो भी मेरे जीजू के पापा से.

करीब दस मिनट तक मुझे चोदने के बाद अंकल जी ने अपना लंड मेरी चुत से निकाल लिया.

मैं भी उठी और देखी कि मेरी चुत से खून निकल रहा था. मैं खून देख कर रोने लगी.

तो उन्होंने मुझे समझाया कि ये सामान्य सी बात है कुंवारी लड़कियों की चुत की सील टूटने के कारण ऐसा होता है. अब तुम एक पूर्ण औरत बन चुकी हो.
मैं शांत हो गई.

फिर उन्होंने मेरी चुत को साफ़ किया. उसके बाद मुझे पेशाब लगी, तो मैं उठ कर जाने लगी.

वो बोले- रूको मैं भी चलता हूँ.

अंकल जी मुझे अपनी गोद में ले गए और उन्होंने भी मेरे सामने पेशाब की. मैंने भी उनके लंड से मूत की धार देखी और खुद भी मूत कर खुद को साफ़ किया.

उन्होंने चाय बनाई और हम दोनों ने चाय पी.

मुझे चलने में बहुत प्राब्लम हो रही थी तो चाय पीने के बाद वो मेरे बगल में लेटकर मुझे किस करने लगे.

कुछ देर बाद हम दोनों गर्म हो गए तो अंकल जी मुझे फिर से चोदा.

उस रात हम दोनों ने तीन बार चुदाई का मजा लिया. हर बार अलग अलग स्टाइल में चुदाई हुई. कभी अंकल जी मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदते तो कभी कभी गोद में लेकर, कभी डॉगी स्टाइल में चोदने लगते.

पूरी रात मैं उनके कमरे में ही नंगी चुदती रही. अंकल जी भी मुझे अपनी बांहों में लेकर सो गए.

अगले दिन वो ड्यूटी भी नहीं गए. हमने पूरे दिन सेक्स किया.

मैं लखनऊ में 24 दिन तक रही और हमने इस दौरान कई बार सेक्स किया. अंकल जी ने मुझे शराब पिला कर भी खूब चोदा. मेरी गांड भी मारी.

इसके बाद जब भी मैं वहां जाती हूँ … तो हम दोनों मौका मिलते ही चुदाई कर लेते थे.

सच में दोस्तो, मुझे अंकल जी से चुदने में बहुत मज़ा आने लगा था, इसलिए मैंने आज तक किसी लड़के को अपना बॉयफ्रेंड नहीं बनाया.
मैं उनसे सच में बहुत प्यार करती हूँ, अभी मैं उनसे रोज फोन पर बात करती हूँ.

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