स्टूडेंट मॉम टीचर सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं एक लड़की को ट्यूशन पढ़ाने जाता था. उसकी मम्मी के चूतड़ मुझे पसंद आ गए. मैं उनको घूरता था. बात कैसे बनी?
दोस्तो, मेरा नाम रोहित है. मैं अभी 21 साल का हूँ और एक आम सा दिखने वाला लड़का हूँ. मैं एक साधारण से परिवार से ताल्लुक रखता हूँ.
आज मैं आप सबके साथ अपने जीवन के वो पल साझा करने जा रहा हूँ, जो शायद मेरी उम्र के लड़के अक्सर उसी बात के बारे में सोचते रहते होंगे या उसका सपना देखते होंगे.
मैं बचपन से ही शर्मीला किस्म का रहा हूँ. मैं अपने स्कूल में लड़कियों से बात करने तक में शर्माता था.
फिर जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरे शर्माने की आदत कम होने लगी. पर फिर भी मेरे मन की कुछ इच्छा अधूरी रहती थी.
मैंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद अपनी इसी कामना को लेकर फिर से सोचना शुरू कर दिया था.
उन दिनों मैं अपने मोहल्ले में रहने वाली एक लड़की को ट्यूशन पढ़ाने जाता था. मैं जिधर पढ़ाने जाता था उस लड़की की मम्मी को मैं भाभी बोलता था. क्योंकि उनकी उम्र काफ़ी कम थी, यही कोई 23 से 25 साल के बीच की होंगी.
भाभी एकदम गोरी-चिट्टी और देखने में काफ़ी सुंदर थीं. वो हमेशा मुझसे अपने बच्चे की पढ़ाई के बारे में पूछती रहती थीं.
मैं लिहाजवश अपनी नजरें नीचे करके कह देता था- जी भाभी जी, पढ़ाई ठीक चल रही है.
इस तरह से भाभी को जवाब दे देता था और वो मुझसे इसके आगे भी कुछ न कुछ पूछने लगती थीं.
फिर जैसे ही भाभी वापस जाने के लिए मुड़ती थीं, मैं अपनी निगाहें भाभी के मटकते चूतड़ों पर गड़ा देता था.
एक बार शायद उनको इस बात का अहसास हो गया था कि मैं उनके मटकते हुए चूतड़ों को देखता हूँ.
उन्होंने एक बार वापस जाते समय मुझे पलट कर देख लिया था, जब मैं उनकी गांड देख रहा था.
उनकी नजरों से नजरें मिलते ही मैं घबरा गया और मैंने अपनी नजरें झट से नीचे कर लीं.
भाभी की खिलखिलाने की आवाज आई.
मैंने सर उठा कर देखा तो वो फोन कान से लगाए हुए मेरी तरफ देख रही थीं और खिलखिला रही थीं.
मतलब भाभी जी ऐसा जाहिर कर रही थीं कि वो किसी से बात करते समय खिलखिला रही हैं.
लेकिन मैं समझ गया था कि उनकी ये कंटीली हंसी मेरी नजरों को पकड़ लेने की वजह से थी.
अब मैं जरा भाभी के पति का भी बता देता हूँ.
भाभी के पति कहीं बाहर काम करते थे और वो अकसर कई कई हफ्तों या महीने भर से ज्यादा दिन के लिए शहर से बाहर रहते थे.
एक दिन की बात है जब मैं उनके घर गया.
भाभी जी सोई हुई थीं. मेरे आवाज़ लगाने के कारण भाभी उठीं और बाहर आ गईं.
जब मैंने उन्हें देखा तो हक्का बक्का रह गया. वो गहरे नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थीं और उन्होंने आज अपनी साड़ी को एकदम कमर की नीचे से बांधी हुई थी, जिससे उनका चिकना पेट साफ़ साफ़ दिख रहा था और कमर के बीचों बीच में नाभि साफ़ दिख रही थी, जो कि काफ़ी गहरी थी.
मेरी नज़र भाभी के चिकने गोरे पेट से हट ही नहीं रही थी.
थोड़ी देर बाद वो मेरी नजरों का पीछा करते हुए अपने जिस्म को देखने लगीं और वो मुस्कुराते हुए अपना पल्लू ठीक करने लगीं.
भाभी मुझसे बोलीं- आप बैठिए सर … मैं प्रिया को उठा देती हूँ.
मैं मन में सोचने लगा कि रहने दो भाभी … मत उठाओ उसे … क्योंकि यहां मेरी चड्डी में लंड उठ गया है.
उस दिन जब मैं पढ़ाने के बाद जब अपने घर लौटा, तो रात भर उनके चिकने बदन के बारे में सोचता रहा.
मैंने ठान लिया था कि अब शर्माने से काम नहीं चलेगा. कुछ न कुछ करना ही होगा.
अगले दिन से ही मैंने कुछ कुछ बातें करने की कोशिश करना शुरू कर दीं.
मैंने सीधे ही अपनी आंखों को भाभी की आंखों से मिलाकर उनसे बात करना शुरू कर दी थीं.
मैं भाभी की मदमस्त जवानी को देख कर उनके जिस्म को अपना बनाने के बारे में सोचने लगा था.
एक दिन भाभी ने मुझे रसमलाई खाने को दी और पूछने लगीं- बताइए कि ये कैसी है?
मैंने रस मलाई खाई और बोला- वाह भाभी जी, आपकी रसमलाई तो बहुत ही रसीली और सॉफ्ट है.
वो सुन कर आंखें बड़ी करते हुए हैरानी सी जाहिर करती हुई बोलीं- अरे वाह सर … आपकी तारीफ़ सुनकर तो मेरी मेहनत सफल हो गई. मैंने पहली बार यूट्यूब से देख कर ट्राइ की है.
मैं बोला- आप प्लीज़ मुझे सर मत बोला कीजिएगा.
मेरी बात पर भाभी हंस पड़ीं और बोलीं- जी रोहित जी.
इसी तरह मेरा उनसे मजाक शुरू हो गया. वो भी मेरे हर तरह के मजाक को एंजाय करने लगी थीं.
एक दिन जब प्रिया स्कूल से वापस नहीं आई थी. शायद मैं कुछ जल्दी चला गया था.
भाभी घर में अकेली थी.
मुझे मौका मिल गया था. मैं बैठ गया और वो मेरे सामने आकर बैठ गईं.
भाभी मुझसे चाय पीने के लिए पूछने लगीं.
मैंने हां कर दी.
भाभी गांड मटकाते हुए किचन में गईं और दस मिनट बाद चाय लेकर आ गईं.
उन्होंने झुक कर मुझे चाय का कप दिया, तो मेरी नजरें उनकी धवल चूचियों पर टिक गईं.
भाभी वासना से भरी आवाज में बोलीं- बहुत गर्म है … जरा ध्यान से लेना.
मैं समझ गया कि भाभी क्या गर्म है की बात कह रही हैं.
मैंने आज हिम्मत कर ली थी और चाय लेते समय ही जानबूझ कर कप अपनी शर्ट पर गिरा लिया.
वो ‘अरे ये क्या हो गया ..’ कहती हुईं मेरी शर्ट साफ़ करने के लिए मेरे सीने पर लगभग पूरी झुक गईं.
उनके बड़ी गले के ब्लाउज से दोनों चूचियां साफ़ दिखने लगीं.
मैंने मन में सोच लिया कि आज भाभी के मादक हुस्न का रसपान करना ही है.
वो एक मिनट बाद अपना पल्लू ठीक करके किचन में चली गईं.
मैं पानी लेने के बहाने भाभी के पीछे ही उनके किचन में चला गया और उनकी गांड के जस्ट पीछे जाकर खड़ा हो गया.
इस समय मेरे और भाभी के बीच में जरा सा भी गैप नहीं था. मेरा खड़ा लंड भाभी कि गांड में टच होने लगा था.
तभी मैंने उनके कान में फुसफुसा दिया कि भाभी मुझे बड़ी तेज प्यास लगी है.
बस ये कह कर मैं लंड भाभी कि गांड में रगड़ दिया.
इससे उनके जिस्म में सनसनी आ गई और भाभी का शरीर सिहर उठा. वो साइड में होती हुई मुझे देखने लगीं और उन्होंने एक गिलास में पानी दे दिया.
उनके चेहरे पर आई हुई मुस्कराहट से और हाव-भाव से मैं समझ गया था कि वो मेरे इरादा समझ गई थीं.
इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई.
मगर मैं अभी प्रिया के आने का वेट कर रहा था.
मैं बाहर आ गया.
मेरे बाहर निकलते ही किचन से भाभी की मुझे बुलाने की आवाज़ आई.
मैंने फिर से अन्दर झांक कर देखा, तो भाभी ने पल्लू कमर में खौंस लिया था और वो कुछ सामान उठाने का प्रयास कर रही थीं.
भाभी किचन के ऊपर वाली रैक से डिब्बा निकालने की कोशिश कर रही थीं.
वो मुझसे बोलीं- प्लीज़ जरा ये डिब्बा निकालने में मेरी हेल्प कीजिए.
मैंने सोचा कि सही मौका है. मैंने बिना टाइम वेस्ट किए भाभी को पीछे से उठा कर अपनी गोद में उठा लिया और उन्हें ऊपर कर दिया.
भाभी की गांड मेरी बांहों में दबी थी और मुझे उनकी मदमस्त देह का पूरा मजा मिल रहा था.
मैं उनकी चुदाई के ख़्वाब देखने लगा.
भाभी ने वो डिब्बा उठा लिया था और वो मुझसे नीचे उतारने के लिए बोल रही थीं.
मैंने बोला- भाभी, आपको कोई और कुछ भी निकालना हो, तो निकाल लीजिएगा … मुझे कोई दिक्कत नहीं हो रही है.
भाभी हंस कर बोलीं- हां वो मैंने निकाल लिया है … अब मुझे उतार दो.
मैंने भी भाभी के चिकने बदन का अहसास लेने के नजरिये से धीरे धीरे उन्हें नीचे उतार रहा था, जिससे हम दोनों के बदन रगड़ रहे थे.
फिर मैंने अपना हाथ उनके पेट में रख कर भाभी को खुद से चिपकाए रखा.
मेरा लंड अब तक एकदम टाइट हो चुका था. भाभी की साड़ी के ऊपर से ही लंड रगड़ खाने लगा. मेरा खड़ा लंड भाभी की गांड में रुक गया और हटने का नाम ही नहीं ले रहा था.
तभी भाभी मुझे धक्का देकर हट गई और मुझे डांटने लगीं.
मैं डर गया और मैंने सॉरी बोला.
फिर मैं भाभी के घर से चला गया.
जब मैं प्रिया को पढ़ा रहा था, तब वो आईं और एक नॉटी स्माइल के साथ के साथ बोलीं- रोहित जी आपको प्यास लगी हो … तो कुछ लाऊं आपके लिए.
मैं समझ गया कि वो भी प्यासी हैं.
फिर भाभी जानबूझ कर काम करने के बहाने से मेरे बगल में खड़ी हो गईं.
मैंने उनकी आंखों में झांका, तो उनकी आंखों में वासना दिखाई दे रही थी.
तो मैंने कहा- ऐसा क्या लाओगी भाभी जिससे मेरी प्यास बुझ जाए.
भाभी ने एक अंगड़ाई ली और अपने मम्मे आगे करके बोलीं- दूध पियोगे?
मैं समझ गया कि भाभी की चुत लंड के लिए मचल उठी है.
मैंने भी पेन लिया और उनकी नाभि में डाल कर स्क्रू की तरह घुमाने लगा.
भाबी ‘आआह … आ … उहाह ..’ की आवाज़ निकालने लगीं.
प्रिया के होने के कारण मैं ज्यादा तो कुछ कर नहीं पाया.
मगर भाभी और मेरे बीच एक मूक सहमति बन गई थी.
अगले दिन मॉर्निंग में भाभी का कॉल आया.
भाभी बोलीं- आज प्रिया स्कूल नहीं गई है. तो आप पहले आ जाइएगा.
मैं पढ़ाने जल्दी ही चला गया था. मैं भाभी के घर में अन्दर गया और आवाज़ लगाई.
तो दूसरे रूम से भाभी की आवाज़ आई- रोहित जी आप बैठिए मैं आती हूँ.
थोड़ी देर बाद दरवाजा बंद होने की आवाज़ आई.
जब मैंने मुड़ कर देखा तो वो भाभी डोर लॉक कर रही थीं.
इस वक्त भाभी गजब की सेक्सी लग रही थीं. उनको देख कर मेरे तो पैंट में लंड ने आन्दोलन करना शुरू कर दिया था, लौड़ा पैंट फाड़कर बाहर आने को मचलने लगा था.
भाभी ने काले रंग की एक पारदर्शी साड़ी पहनी हुई थी और वो भी एकदम कमर की नीचे … मेरे ख्याल से भाभी की चुत सिर्फ़ दो इंच नीचे रह गई होगी.
ऊपर ब्लाउज था कि सिर्फ़ ब्रा … समझ ही नहीं आया. एकदम शॉर्ट और पतली स्ट्रिप्स वाला, वो भी साला नेट का.
भाभी के होंठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक भैरंट चमक रही थी. पता नहीं ये कौन सी ब्रांड की लिपस्टिक लगा रखी थी. भाभी ऐसी लग रही थीं, जैसे कोई रंडी चुदवाने के लिए तैयार होकर आई हो.
मैंने भाभी के मदमस्त रूप को देखा और पूछा- प्रिया कहां है?
भाभी बोलीं- आज वो अपनी नानी के घर गई है.
मैंने समझ गया कि भाभी ने मुझे क्यों बुलाया है. आज भाभी अपनी बुर कि प्यास मेरे लंड से बुझवाना चाहती हैं.
और वो ऐसा क्यों ना करें. महीनों तक उनकी बुर में कोई लौड़ा डालने वाला ही नहीं रहता है.
मैंने उनके मम्मों को देख कर कहा- वाह भाभी, आज तो आप इस ब्लैक साड़ी में बहुत सेक्सी लग रही हो.
भाभी बोली- जी रोहित जी … आज गर्मी इतनी ज्यादा लग रही है कि …
मैंने उनकी बात काटते हुए बोला- हां, आपको देख कर मेरी गर्मी भी बढ़ गई है.
वो सेक्सी स्माइल देते हुए बोलीं- आप बैठो, मैं आपके लिए ठंडा लाती हूँ.
वो किचन में चली गईं और पीछे पीछे मैं भी आ गया.
उन्होंने जैसे ही फ़्रिज खोला, मैंने पीछे से भाभी को पकड़ लिया और कसके अपने सीने से चिपका लिया. पीछे से उनकी गर्दन को चूमने लगा.
भाभी भी ‘आआह … आह ..’ करते हुए पूरा मजा लेने लगीं.
मैंने बिना टाइम वेस्ट किए उनके दोनों मम्मों को कसके पकड़ा और मसलने लगा.
भाभी ‘आआहह … आह ..’ करने लगीं.
मैंने अपना एक हाथ भाभी के पेट के ऊपर से सरकाते हुए पहले नाभि में उंगली चलाई, फिर नीचे साड़ी में घुसेड़ कर चुत की ऊपरी हिस्से में घिसने लगा.
उंगली को चुत की फांकों तक अभी ले जाता कि उतने में ही उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.
भाभी बोलीं- आओ पहले प्यास को और बढ़ा लेते हैं. फिर बुझा लेना.
हम दोनों बेडरूम में चले गए.
मैंने जाते समय फ्रिज से आइसक्यूब और आइसक्रीम ले ली.
बेडरूम में जाते ही उन्होंने मेरे कपड़े उतारना शुरू कर दिया. जींस को भी उतार दिया. अब मैं सिर्फ़ चड्डी में रह गया था. मेरा लंड एकदम लाठी की तरह खड़ा था और मानो चड्डी फाड़ कर बाहर आने को रेडी था.
उन्होंने मेरे लंड को चड्ढी के ऊपर से पकड़ लिया और लंड मसलते हुए बोलीं- कितने महीनों से लंड का स्वाद नहीं चखा है.
भाभी ने मेरे होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया.
मैंने भी उनके होंठों को मुँह में दबाया और काटते हुए जोर जोर से चूसने लगा.
हम दोनों एक दूसरे से मानो चिपक गए थे जाने कब की प्यास बुझाने की कोशिश करने में लगे थे.
फिर भाभी ने मेरी चड्डी उतार दी और मुझे पूरा नंगा करके मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
‘आआह … उहहा ..’
अब मेरी मादक आवाज निकल रही थी और भाभी लंड का पूरा स्वाद लेते हुए मुँह में अन्दर गले तक डालतीं और मस्ती से लंड चूसने लगतीं.
मैं भी जोश में आ गया था.
मैंने उनके बालों को पकड़ा और मुँह को ही चुत समझ कर चोदना शुरू कर दिया. मैंने अपनी गोटियों को भाभी के होंठों तक सटाया और उनके मुँह में पूरा लौड़ा ठांस दिया.
भाभी की दम घुटने लगी, तो मैंने लंड बाहर खींच लिया.
अब मैंने भाभी को बेड पर लेटा कर पेट पर आइसक्यूब फेरते हुए नाभि से खेलने लगा.
भाभी मादक सिसकारियां लेने लगीं.
मैंने धीरे भाभी के ब्लाउज के हुक खोल दिए और ऊपर से उन्हें नंगी कर दिया. फिर एक चुची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरी वाली को जोर जोर से दबाने लगा.
इसके कुछ देर बाद मैंने भाभी के पूरे ऊपर के बदन को आइसक्रीम लगा लगा चाटा और साड़ी खोल कर पूरा नंगी कर दिया.
भाभी की चूत में आइसक्रीम लगा कर अपनी जीभ से चुत चाटने लगा.
भाभी सेक्सी आवाज़ निकालती हुई मचल रही थीं- आआहा … .. आआहा … चूस लो मेरी चुत को.
मैं भी जीभ अन्दर तक डाल कर भाभी की चुत को चाटता चला गया.
कुछ ही मिनट में भाभी भी पानी छोड़ने लगीं.
एक मिनट बाद भाभी बोलीं- अब मत तड़फाओ … चोद दो मुझे अपने लंड से … ठोको.
इधर मेरा लंड भी बहुत तड़फ रहा था. मैंने भी उनकी टांगों को अपने शोल्डर पर रख कर बुर में लंड का सुपारा सैट किया और एक जोर से धक्का दे मारा.
भाभी चीख पड़ीं- आआ … एयेए … मर गई … आह कैसे ज़ालिम की तरह चोद रहे हो. मेरे पति कभी ऐसे नहीं चोदते हैं.
मैं बोला- अभी क्या है मेरी जान … असली चुदाई तो अब शुरू होगी.
मैं जोर जोर से भाभी को चोदता चला गया. वो भी पूरी मस्ती से चुदवाती रहीं. मेरा साथ देती चली गईं.
करीब दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था, तो मैंने लौड़ा बाहर ही निकालने वाला था.
भाभी बोलीं- नहीं … सारा पानी अन्दर ही छोड़ दो.
मैंने आठ दस धक्के मारे और लंड का रस चुत में छोड़ दिया.
हम दोनों काफी थक गए थे.
कुछ देर बाद मैं फिर से उठा और दुबारा से भाभी की चुत में लंड डालकर चुदाई शुरू कर दी. इस बार मैंने पहली बार से दस मिनट ज्यादा चोदा.
भाभी शाम तक मुझसे चुदवाती रहीं.
हम दोनों सारे दिन सेक्स करके थक गए थे, तो वैसे ही नंगे ही सो गए.
रात दस बजे मैं उठा और जाने लगा.
भाभी बोलीं- आज रात यहीं रुक जाओ न!
मैं भी मान गया.
भाभी ने रात का खाना बनाया. मैंने भी उनकी हेल्प की.
खाने के बाद हम दोनों फिर से बिस्तर में आ गए और रात भर मैंने भाभी को खूब चोदा.
फिर सुबह जल्दी ही उठ कर मैं भाभी के घर से चला गया.
अब जब भी हम दोनों को मौका मिलता, मैं भाभी को चोदने लगता.
इस तरह हम दोनों का जिस्मानी रिश्ता एक साल तक चला. मैं आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर आ गया. पर आज भी मैं अपनी पहली चुदाई के बारे में सोचता हूँ, तो भाभी की बड़ी याद आती है. देखो कब वापस जाता हूँ और मुमकिन हुआ उनसे फिर से चुदाई का मौक़ा मिलेगा.