स्लीपर बस सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि एक बार मुझे अपनी 3 सहकर्मी लड़कियों के साथ स्लीपर बस में रात की यात्रा करनी थी. एक लड़की मेरे केबिन में थी.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राजेश सोनी है और मैं मध्य प्रदेश का रहने वाला हूं।
मैं अपनी पहली कहानी आप लोगों को सुना रहा हूं. मैं एक सच्ची स्लीपर बस सेक्स स्टोरी आप लोगों के सामने बताने जा रहा हूं. उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी।
पहले मैं अपने बारे में बता दूं।
मेरी उम्र 28 साल है और मेरी हाइट 6 फुट है हाइट के हिसाब से आपको मेरे लंडकी लंबाई का अंदाजा अपने आप से लगा लेना है।
यह स्लीपर बस सेक्स स्टोरी तब की है जब मैं बिहार में काम करता था मेरे साथ तीन और लड़कियां काम करती थी जिनका नाम था सपना, आयशा और प्रिया।
वैसे तो तीनों एकदम माल लगती थी लेकिन आयशा की चूची इतनी बड़ी बड़ी थी कि देखकर लंड अपने आप खड़ा हो जाता था।
सपना और प्रिया भी किसी आइटम से कम नहीं थी. सब की सब एक से बढ़कर एक सेक्सी और हॉट लगती थी।
वैसे तो तीनों के ही पास बॉयफ्रेंड थे लेकिन उन लोगों का मिलना नहीं हो पाता था इसलिए तीनों फोन पर बात करके ही अपना मन मनाती थी।
हम लोग काफी दिनों से साथ में काम कर रहे थे इसलिए कभी दिल में ऐसा ख्याल नहीं आया कि इतना माल जो मेरे पास है इनको मुझे चोद देना चाहिए.
लेकिन एक बार ऐसा हुआ कि मुझे ना चाहते हुए भी एक ही रात में तीनों की चूत बजानी पड़ी।
हुआ यह कि हमारी एक ट्रेनिंग पटना में थी और उसके बाद हमको मोतिहारी जाना था।
हमको रात वाली बस से जाकर सुबह काम करना था।
मैंने 11:00 बजे रात वाली बस में चार टिकट बुक कर लिए थे जिसमें दो स्लीपर में थे और दो सिटिंग में थे।
जानबूझकर मैंने केवल दो टिकट चेयर और दो टिकट स्लीपर की बुक करी थी ताकि मुझे किसी न किसी के पास सोने का मौका मिल जाए.
एक बार अगर सोने का मौका मिल जाएगा तो आगे फिर कुछ बात बन सकती है।
मैंने पहले ही बोल दिया था कि मैं स्लीपर में सोऊंगा एक लड़की तुम तीनों में से जो भी चाहे वह स्लीपर में आकर सो सकती है या बैठ सकती है।
यह सुनकर पहले तो तीनों ने मना कर दिया कि हम तीनों ही नहीं आएंगी हम 2 सीट पर 3 लोग एडजस्ट करके बैठ जाएंगी।
और उन लोगों ने ऐसा ही किया.
लेकिन क्योंकि बस रात की थी. तो जैसे ही 12 बजने को आए, आयशा ने पर्दा हटाया और मुझसे बोली- मैं भी ऊपर आना चाहती हूं, मुझे नींद लग रही है।
मैं तो यह सुनकर बहुत खुश हो गया. मैंने सोचा चलो कम से कम और कुछ ना सही पास में सोने का ही सुख मिलेगा।
उसके बाद वह ऊपर चढ़कर आ गई और मेरे बगल में लेट गई।
अब स्लीपर तो इतनी चौड़ी होती नहीं है कि बीच में गैप रहता. तो सोते हुए हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे।
आयशा ऐसे सोने में असहज महसूस कर रही थी तो उसने अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया.
और ऐसा करने से उसके चूतड़ मेरे सामने आ गए थे, बड़े बड़े चूतड़ मेरी टांगों से रगड़ने लगे थे।
इतनी गर्म माल मेरे बगल में सोई थी यह देख कर मेरा दिल बहुत तेज धड़क रहा था.
मैंने हिम्मत करके अपना चेहरा भी उसी तरफ घुमाया और अपना एक पैर उसके चूतड़ के ऊपर रख दिया.
लेकिन उसने अपना पैर हल्का सा हिलाया तो मैंने अपना पैर वापस कर लिया।
मुझे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मेरा लंड भी मेरे पैंट में खड़ा हो रहा था और मुझे दर्द महसूस हो रहा था.
तो मैंने चुपचाप अपने पैंट की चेन खोल कर अपने लौड़े को बाहर निकाल दिया और अब वह शैतान शिकार करने के लिए आजाद था।
फिर मैंने सोचा कि यह लड़की अपने आप तो नहीं चुदवायेगी; पहले इसके अंदर आग लगानी पड़ेगी और चूत में पानी लाना पड़ेगा।
इसलिए मैंने जानबूझकर अपना चेहरा उसके गर्दन पर चिपका दिया और अपना एक हाथ उसके कमर पर रख के सोने की एक्टिंग करने लगा।
लेकिन मैं यह भूल गया कि मेरा लंड पहले से ही उसकी गांड की दरार में घुसा हुआ है और उसके ऊपर दबाव डाल रहा है और उसको बहुत अच्छी तरह से लंड का आभास मिल रहा है।
मेरे इस तरह से उसके ऊपर पूरी तरह सवार हो जाने की वजह से उसकी साँसें गर्म होने लगी उसका शरीर ऐंठने लगा; वह पूरी तरह से होश में आके मेरी इन हरकतों में मेरा साथ देने लगी; मजा लेने लगी।
मैंने अपना हाथ उसके गले के नीचे से ले जाकर उसकी चूची में डाल दिया और हल्का हल्का उसकी चुचियों को मसलने लगा.
इतने दिनों तक जिन चूचियों को देखकर मुठ मारता था, आज वो मेरे हाथ में थीं.
और क्या चुचियां थी … बिल्कुल टाइट कैनवास के बाल जैसी!
मेरे एक हाथ में तो पूरी आ भी नहीं रही थी, इतनी बड़ी बड़ी थी। उनको मसलने में मुझे बहुत मजा आ रहा था. मेरा मन कर रहा था बस इन चूचियों के साथ ही खेलता रहूं।
लेकिन मुझे इसकी चूत का भी तो स्वाद चखना था आज!
इसलिए मैं उसके पूरे शरीर पर हाथ चलाता और किस करता रहा।
थोड़ी देर बाद वह हल्का सा पीछे की ओर घूमी तो मेरा लंड पूरी तरह से उसकी गांड की दरार के बीच में आकर पैंट के ऊपर से उसकी चूत को टच करने लगा.
अब उसको भी इतनी देर की मस्ती बर्दाश्त नहीं हो रही थी और पसीना पसीना हो कर मेरी तरफ घूम गई।
घूमते ही बोली- तुम तो बहुत खिलाड़ी आदमी हो! और इतने बड़े लंड के मालिक हो कर भी मुझे आज तक इसका टेस्ट नहीं कराया? अगर मुझे पहले पता होता कि तुम्हारा लंड इतना बड़ा और मोटा है तो मैं तुझको अब तक कितनी बार चोद चुकी होती।
तब मैं बोला- चोद चुकी होती या चुदवा चुकी होती?
तो वो बोली- ऐसे लंड वालों को मैं कष्ट नहीं देती; खुद मेहनत करती हूं और उनको आराम से चुदाई का सुख लेने देती हूँ। इस बस में तो मैं तुमको अपना जलवा नहीं दिखा पाऊंगी. लेकिन एक बार तुम मुझे यहां खुश कर दो उसके बाद मैं पूरी जिंदगी तुमको खुश करती रहूंगी।
मैं बोला- बातों में समय मत गंवाओ; जल्दी से चूत का रस मेरे लंड को पिलाओ।
उसने भी बोला- हां, अब तो मेरी चूत से भी रहा नहीं जा रहा है, इसको तुरंत लंड की जरूरत है. और इतना ज्यादा चुदवाने का मन कर रहा है कि आज तेरे लंड की भी हालत खराब कर दूंगी।
इतना कहने के साथ ही वह उठी और चुदाई के लिए माहौल बनाने लगी।
सबसे पहले उसने पर्दे ठीक किए ताकि बाहर से थोड़ा सा भी किसी को दिखाई ना दे और उसने पर्दे को अच्छी तरह से बेड के अंदर दबा दिया।
इसके बाद बाहर से गाड़ियों की जो रोशनी आ रही थी उसको भी उसने अपने दुपट्टे को डालकर ढक दिया।
और मेरी उम्मीद के विपरीत उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया.
जैसे ही उसने मेरा लंड अपने हाथ में लिया, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी दूसरी दुनिया में चला गया.
धीरे-धीरे वो मेरे लंड को आगे पीछे करके मुठ मारने लगी।
उसके नर्म नर्म हाथों में आकर मेरा लंड अपनी पूरी जवानी पर आ गया।
मैंने उसको अपनी बांहों में खींच लिया. उसने कोई विरोध नहीं किया.
फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से किस करने लगा।
मैं उसके होठों को खा जाना चाहता था.
वो कसमसाई लेकिन चुंबन में मेरा साथ देने लगी.
हम दोनों एक दूसरे को कस के किस करने लगे. उसका हाथ मेरे लंड पर लगातार चल रहा था.
मैंने जल्दी से उसकी पीठ के अंदर हाथ डाला, उसकी ब्रा के हुक खोल दिया.
फिर उसका टीशर्ट ऊपर की तरफ करके उसके दोनों बड़े बड़े चूचों को हाथ में पकड़ कर मसलने लगा और जल्दी-जल्दी पीने लगा.
वह बहुत ज्यादा गर्म होने लगी, उसका शरीर टाइट होने लगा.
मैंने उसका जींस का बटन खोल कर जींस को भी उसकी जांघ से नीचे खींच दिया।
उसकी गदराई जवानी देख के मेरा लंड फुफकार मारने लगा. मेरा मन किया कि इसको इतना पेलूं, इतना पेलूं कि इसकी बुर के पानी से मैं खुद नहा लूं।
अपने सारे कपड़े मैंने तुरंत उतार दिये. अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे.
मैंने उसको नीचे पटक दिया और उसकी गांड के ऊपर लंड रख के उसके गर्दन पीठ और चूतड़ तक किस करने लगा।
वह भी पूरा गर्म हो चुकी थी।
अब मैं उसको तुरंत चोदना चाहता था. मैंने उसका हाथ पकड़ के उसको सीधा घुमा दिया.
उसकी बड़ी बड़ी नंगी चूचियां मेरे हाथ में और उसकी चूत मेरे लंड के सामने बिल्कुल चिकनी राजभोग जैसे फूली हुई और गुलाबी कलर की नजर आ रही थी.
अब मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. क्या लाजवाब टेस्ट था उसकी चूत का!
चूत में से पानी आने लगा। मैंने उंगलियों से उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया.
इतने में वह बोली- अब जल्दी करो, मुझे लंड चाहिए; उंगली से मेरा कुछ नहीं होने वाला! अपना यह घोड़े जैसा लंड क्या अपनी गांड में डालने के लिए रखा है? जल्दी से मेरी चूत में डाल कर फाड़ मेरी चूत को और पेल मुझे! ऐसा कि तेरी गुलाम बन जाऊं!
इतना सुनकर मेरे बदन में भी आग लग गई और मैंने उसके पैर फैला कर उसकी चूत के ऊपर लंड रखा और एक ही बार में साली की चूत में पूरा लंड पेल दिया।
उसने पहले सेक्स तो किया था लेकिन मेरे लंड के हिसाब से अभी भी उसकी चूत का छेद छोटा पड़ रहा था।
बस में होने की वजह से वह अपना मुंह बंद करके कसमसा रही थी क्योंकि आवाज करती तो सबको पता लग जाता कि वह चुद रही है।
मैं लगातार उसकी चूत में धक्के मार रहा था वह लगातार मेरा साथ दे रही थी।
थोड़ी देर ऐसे चोदने के बाद मैंने उसके दोनों पैर स्लीपर की छत से टिका दिया और उसके बाद में लगातार उसकी चूत चोदता रहा.
करीब 10 मिनट तक इसी तरह से चुदने के बाद वह बोली- मुझे अब घोड़ी बन कर चुदने का मन कर रहा है।
वहां इतनी जगह तो नहीं थी पर जैसे कैसे मैंने उसको पलट के घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत मारने लगा।
घोड़े की सवारी में मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत के अंदर घुस रहा था और मेरे अंडे उसकी चूत पर बज रहे थे. थप थप की आवाज के साथ चुदाई चल रही थी।
बस के धक्के के साथ हम लोगों का भी धक्का चल रहा था।
वह अपनी मस्ती में आ गई थी और बोली- चोद साले मुझे चोद! इतना कि आज मैं तेरी गुलाम बन जाऊं।
फिर मेरा भी जोश बढ़ा और बहुत तेज से चुदाई करने लगा।
मैं भूल गया था कि मैं बस में हूं और कोई हमारी आवाज सुन सकता है.
मैंने उसको जी भर के पेला और वह भी पूरा मस्त होकर करवा रही थी.
उसको मैंने इसी तरह से लगभग 15 मिनट तक चोदा।
जब दोनों झड़ने वाले हुए तो मैंने पूछा- कहां निकालना है?
तो वह बोली अंदर ही निकाल दो, अब तो हर रोज चुदाई होनी है. मैं दवाई लगातार खाती रहूंगी।
इस तरह से हम दोनों का एक ही साथ झड़ गया.
और हम दोनों थोड़ी देर तक नंगे लेटे रहे. उसके बाद हमने अपने अपने कपड़े पहनने चाहे.
तब तक आयशा की एक सहेली ने पर्दा हटाया और बोली- अब तुम नीचे आओ, मुझे सोना है.
लेकिन जब उसने देखा कि आयशा नंगी सोई है तो शर्म के मारे तुरंत पर्दा बंद करके वापस अपनी सीट पर बैठ गई।
अब दोस्तो, मैं अगली कहानी बताऊंगा कैसे मैंने बाकी दो लड़कियों को उसी बस में चोदा।